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________________ १४६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात 12 कुण गयो रे ?” ताहरां चरवैदार कह्यो - ' राज ! अठै तो को नही ।' ताहरा खीदै कह्यो - 'नही क्या ? कोई तो गयो ? ३ 13 4 6 यो कहि, खीदो तो भीतर रावळा माहे गयो । ग्रापरी वैर" पास गयो । र बैरनू कह्यो - 'ऊठि, घर वहू री खवर कर ।' ताहरा वैर कहयो- 'क्यु ?' ताहरा खीदै कह्यो - ' परणी ग्राई तद सुपियारदेरै पग रो मचको सुणियो हु तो, सु ग्राज वळ सुनियो । ताहरा जाणां छां, नीसरी ।' उसडो' पग सुणियो ।' तद छोकरी मेल्ही ।" कहयो'जु वहूरी खवर लै'" ।' ताहरा सुपियारदे जावती, चोरसौ मांचे ऊपर ढाळ, सीरखरो वीटो कर, तै ऊपर चोरसी ढाळियो हुतो । ताहरा छोकरी देख जायने कह्यो - 'बहुजी तो पोढिया छे ।" ताहरा खीर्द प्रापरी बैरनू कह्यो - 'छोकरीरो काम नही, तू जायने देख | 23 ताहरां सासू जायनै देखे तो सीरख पडी छे । पाछी गायनै कह्यो - 'वहू नीसरी ।' 11 5 र सुपियारदे नोसरी सु रावळियांरी रमत हुती तठे गई । 14 ताहरा रावळियो थाळी फेरें हुतो ।" ताहरा सुपियारदे श्राघी हुय थाळी माहे मोहर घाती, ग्रर चालती हुई । " ग्रागे नरबदजी वैहल लिया ऊभा हुता । " सुपियारदे तो जाय वैहल बैठी । 16 17 अर ग्रठे रावळिये आण थाळी सिरदार आगे मेल्ही । 118 ताहरा सिरदार को - 'ग्रा मोहर के घाती ।" ताहरां रावळिये कह्यो- 'राज | ? 1 रे ! कौन गया है 2 यहा तो कोई नही । 3 नही क्यो ? कोई तो गया 4 अन्त पुर । 5 अपनी स्त्री । 6 खीदेने कहा – विवाह करके जब प्रथम वार थाई थी तब उसके पावका झटका ( चलनेकी ठसक) सुना था, वही प्राज पुन सुनाई दिया । 7 इसलिए अनुमान होता है कि निकल गई । 8 वैसा । 9 तब दामीको भेजा । 10 बहूकी खबर कर । II सुपियारदेने जाते समय खाटके ऊपर रजाईका लवा वेप्टन बनाकर और उसके ऊपर चौरमा ( चद्दर) डाल दिया था । 12 बहूजी तो सोई हुई हैं । I3 दासीका काम नही, तू खुद जाकर देख | 34 सुपियारदे घर से निकल कर जहा रावलिये रमत कर रहे थे वहा गई । IS उस समय रावलिया पैसोके लिए थाली फिरा रहा था । 16 तब सुपियारदे, आगे बढकर रावलियेकी थाली में एक मुहर ( स्वर्ण मुद्रा ) डालकर चलती बनी । 17 आगे नरवदजी वहनी लिए खड़े ही थे । रावलिये पैने इक्टू की हुई थाली सरदार के सामने रखी । 19 यह मुहर किसने डाली 18 और इधर ¿
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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