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________________ मुहता नेणसीरी ख्यात ' [ १३९ महिपो ठेसू मांडवर पातसाह पासै गयो । राणोजीनू अर रिणमलजी खबर हुई, जु महिपो मांडव छै । ताहरां राणोजी नर रिणमलजी माडवरै पातसाहनू जोर घातियो जु 'म्हारो चोर देवो ।" ताहरां पातसाह महिपैनू कह्यो - 'महिपा ! हमै तू म्हासू रहै नही । " तद महिप कह्यो - 'म्हने बाँध देवो मतां ।' 13 14 तद महिपो घोड़े चढ नीसरियो । दरवाजे आयो तद घोडे सूधो गढसू कूदियो । घोडो तो पडता मुवो। आप नाठो ।' गुजरातरं पातसाहरै गयो । रांणोजी नैo रिणमलजी पाछा चीत्रोड़ आया । राणोजी सुखसू राज करै छै । रिणमलजी देसरो कांम करै छै । 9 यू करतां हेक दिन महिपो लाकड़ियांरो भारो ले चीत्रोड मां है आयो । महिपैरै एक बंर हुंती 12, अर एक बेटो हुतो । अर वा बैर दुहागण हुती ।" तियैरै घरै प्रायो महिपो । ताहरा बैर ओळखियो । 14 घर मांहै लियो । भीतर बैठो रहै । सूतरो काम करें ।" मोहरी ने जेवड़ा वटै । 16 सो एक मोहरी सवार अर बेटेर हाथ दीवी, कह्यो - ' राणोजीरै नजर करें ।" अर जो पूछे तो कहै, महिपो हाजर छै । तद बेटो हजूर गयो । 18, ताहरां राणोजी पूछियो । ताहरां कह्यो - 'दीवांण ! महिपो हाजर छँ ।' 20 पर्छ महिपो दीवांणसू मिळियो", श्रर कह्यो - 'दीवाण | धरती मेवाड़री राठोडा लीधी ।" दीवांणनू खबर नही ।' ताहरा राणेजीरें मन मे डर पैठो'–'कदास मोनू मार राज लेवै । 22 ताहरा राणजी 1 महिषा यहा माडवके वादशाहके पास चला गया । 2 तव राणोजी और रिमलजीने माडवके बादशाह पर जोर डाला कि हमारा चोर हमको देग्रो । 3 अब तू 5 दरवाजे पर ग्राया । 7 खुद भाग गया । । 12 और वह स्त्री । 15 सूत्रकी वस्तुएँ हमारेसे नही रखा जा सकता । 4 मुझे बदी बना कर मत दो । तव घोडे सहित गढसे कूद गया । 6 घोडा तो गिरते ही मर गया 8 और 1 9 चित्तोड । 10 एक । 11 महिपाके एक स्त्री थी तिरस्कृत थी । 13 उसके । 14 तव स्त्रीने उसे पहचान लिया बनाने का काम करता है । 16 मोहरी और जेवरी वटता है । सँवार करके वेटेके हाथ दी और कहा कि इसे लेजा कर राणाजीके नजर करदे । उसका बेटा राणाजीकी कचहरीको गया । 19 पीछे महिपा दीवान ( राणाजी) से मिला । 20 मेवाडकी धरती रोठोडोने लेली । 21 राणाजी के मनमे भय घुसा । 22 कदाचित् मुझे मार कर राज्य ले ले । 17 सो एक मोहरी 18 तव
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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