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मुहता नैणसीरी ख्यात एक सोहणी छ, सो माणस आवतां देख गाजसी, तद उवै सावधान हुसी।
ताहरा राव रिणमलजी हेकाहेक पगडांडी चढिया। वांस' फोज चढी । ताहरां सोहणोरी थह बराबर गया । तद सोहणी बोलो । तद अडमाल तरवाररी दीवी, सो दोय धड हुई पड़ी।" सीहणी मारी।
तितरै ऊपरलां कह्यो-'जु सावधान ! सुणज्यो ! सीहणी गाजे छ।" पण सोहणी हेक वार हीज बोली।' तैसू ऊपरलानै वेसास हुवो, कह्यो-'जु हेक वार हीज बोली। किही जिनावरसू बोली हुसी।" इतरै रिणमलजी घोडा नीचै राख, आप ऊपर चढिया ।" चढिनै दरवाजे गया। तद बरछी दरवाजेनं वाही।11 ताहरां भीतरला कह्यो-'ठाकुरा ! रिणमलजीरी बरछी हुवै ?'12 ताहरा सारांही कह्यो-'ठाकुरां ! रिणमलजी छै ।13
ताहरा चाचै मेरैसू लडाई हुई। सीसोदियानू मार पगा नीचे दीना। चाचो मारियो । महिपो जनानी पोसाख कर पहाड़सू कूद गयो । रिणमलजी चाचैरी बेटी परणिया (16 धड़ बाजोट किया।" बरछियारी चंवरी कीवी । और कोई सोसोदियांरी कुवारी बेटी हुती, रिणमलजी आपरा भायानू परणाई। रिणमलजी पाछा पधारिया।
I पहिवडके पहाडोमे एक सिहिनी है सो मनुष्यको प्राता हुआ देख कर दहाडेगी, तद वे लोग सावणन हो जायेंगे। 2 तब राव रिणमलजी एकाएक पगडडीसे ही चढ गये। 3 पीछे। 4 तव सिंहिनीके गुफाके वरावरमे गये। 5 तब अडमाल (अडकमल)ने तलबारसे प्रहार किया सो घडके दो टुकडे होकर पड गई। 6 तव ऊपर वालोने (चाचा पादिने) कहा कि सावधान, सुनना, सिंहिनी दहाड रही है। 7 पर सिंहनी एक बार ही बोली। 8-9 जिनसे ऊपर वालोको विश्वास हुया कि एक ही बार बोली है, सो किसी जानवरको देख कर वोली होगी। 10 स्वय ऊपर चढे । I तब दरवाजेको बर्ची मारी। 12 नव भीतर वालोने कहा – 'ठाकुरो । यह बर्थीका प्रहार रिणमलजीके हाथका हो? 13 तब सब जनोने कहा- ठाकुरो । निश्चय रिणमलजी है। 14 सिसोदियोको मार कर पांवो तले दिये। 15 महिपा जनानी पोशाक पहिन कर बाहर निकल गया और पहाटगे कूद गया। 16 रिणमलजीने चाचा की बेटीसे विवाह किया । 17 घडोको (लागो को) विधाकर विवाह-मटपकी चौकी बनवाई गई। 18 बछियोकी चौरी वनवाई । 19 और भी सिसोदियोको क्वारी लडवियां थी उन्हें अपने भाईबन्धुप्रो को व्याह दी।