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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १३५ मलेसी रांणजीरो खवास । ताहरां रिणमलजी पण जासूस लगायो हुतो।' कह्यो-'जु देखां, अ किसी वात करै छै ?'' ताहरां मलेसीनूं औ तो घणा ही कह रहिया-3 'जु तू म्हां में भिळ ।' पण मलेसी भिळे नही। ताहरा जासूसा प्राय रिणमलजीनू कह्यो, ताहरा रांणोजी मानै नही। यू करता रिणमलजी तो पूठा मंडोहर पधारिया। वांस राणैजीनू चूक कियो ।' तद राणोजी अचळदास खीचीरी मदतनू गढसू उतरिया अर नीचे डेरो कियो ।' तद महिपै चाचैनू कह्यो-'जु आज राणो मरै तोमरै; नही तो पछै मरणरो नही । ताहरां चाचो, मेरो, महिपो साथ कर आया। तद रांणोजी कह्यो-' खातणवाळा प्रावै सु भला नही, जो गोहुवाळ मांहै आवै ?'' इतरी मरजाद हुँती, झै गोहुवाळां मांहै आवण पावता नही, सो आया ।10 ताहरां मलेसी डोडिय कह्यो-'जु थानू प्रागै रिणमलजी कह्यो हुतो जु ईयार थांसू चूक छै ।11 ताहरां रांणोजी कह्यो-' हरामखोर हणा क्यु ?' ताहरां मलेसी कह्यो-'पागै म्है न तो कह्यो हुतो ? पण हमै तो देखोईज छो।13 पछ वडी लडाई हुई । नव जणा रांणाजीरै हाथ रह्या ।14 पाच जणा राणीजी हाडीजीरै हाथ रह्या ।15 पाच जणा मलेसी डोडियारै हाथां रह्या । राणोजी काम आया। चाचा महीपैरै हळका सा घाव लागा। _1 रिणमलजीने भी उनके पीछे जासूस लगा रखा था। - 2 देखें, ये लोग क्या बातें करते है। 3-4 मलेसीको बहुत कहा कि तू हमारे शामिल हो जा। इस बीच रिणमलजी तो वापिस मडोर चले गये। 6 इनके जानेके पीछे राणाजीको चूक किया । 7 राणाजी अचलदास खीचीकी मददको जानेके लिये गढसे उतरे और नीचे आकर डेरा डाला। 8 तब महिपेने चाचासे कहा कि राणाको आज मारें तो मरे, नही तो फिर मरनेका नहीं। 9-10 ये खातिन वाले आ रहे हैं सो खैर नही, जौ वाले (निम्न वर्गवाले) गेहू वालो (उच्च वर्ग वालो) के साथ आ रहे हैं ? यह मर्यादा थी कि ये (निम्न वर्ग वाले) गेहू वालो (उच्च वर्ग वालो) के साथ पा नहीं सकते सो पा रहे है। II मलेसी डोडियेने कहा कि आपको रिणमलजीने कहा था कि इन लोगोका आपके साथ चूक है। 12 पर ये हरामखोर इस समय क्यो? 13 मलेसीने कहा कि मैंने आपको कहा नही था ? और अव तो आप देख ही रहे हो। 14-15 नौ व्यक्ति राणाजीके हाथ रहे और पाच जने राणी हाडीजीके हाथ काम आये ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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