SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ११७ माथै मेडतैरीमुदार। ताहरांजैमलजी कह्यो-'अखैराजजी ! थे' जावो।' ताहरां अखैराजजी कह्यो-'राज ! मोन काहिणन मेलो ? अर जे मोनू मेलो छो तो लड़ाईरो सराजाम करो। ताहरा अखैराजजी, चांदराजजी हालिया। ताहरा प्रथीराजरै अस्वैराजसौं क्युहेक नातरो हुतो ।' ताहरां } ठाकुर प्रथीराजजीरै डेरै पाया । प्रायनै प्रथीराजजीनू राम राम कहाडिया । ताहरां प्रथोराजजी कहाडियो-'हू सपाडो करू छू', पछ हूई दरबार आईस ।" प्रथीराजजोरै डेरै तरवारयांन वाढ लागै छ । केई रजपूत बदूकारी चोटा करै छ ।' घणू ऊधम होय रह्यो छै ।10 ताहरा झै सिरदार देखनै 1 हैरान हुवा। इतरै माहै प्रथीराजजी पैहर वागो नै तैयार हुय, बाहर पधारिया। ईया ठाकुरानू लेनै दरवार आया । प्रागै राव मालदेजीरो दरबार जुडियो छै । ईंयां सिरदारां जाय राव मालदेवजीसू मुजरो कियो । एकै खवै नगो भारमलोत बैठो छ, एकै खवै प्रथीराजजी बैठा छै।15 ईयां सिरदारानू सनमुख बैसांणिया। ताहरां प्रथीराज बोलियो-'रावजी सलामत | 17 मेड़तेरा प्रधांन आया छ ।' ताहरा रावजी कहै छै । कह्यो-'परधान कासू कहै छै ?'18 ताहरा प्रथीराज बोलियो-'इयु कहै छै महाराज ! 19 म्हानू मेडतो दीजै । म्हे रावळी चाकरी करस्या । ताहरा रावजी कह्यो'मेडतो न देवा । दूजो पटो देस्यां ।'21 इतरै माहै अखैराज बोलियो'राज कहो छो, किना किहीरो कहियो कहो छो ? 22 जु मेडतो दे I तुम । 2 मुझे क्यो भेज रहे हो? । 3 और जो मुझे भेज रहे हो तो लडाईकी तैयारी करो। 4 कुछ नाता था। 5 ये। 6 मैं स्नान कर रहा हूँ। 7 फिर मैं भी दरवारमे आऊगा। 8 पृथ्वीराजजीके डेरेमे तलवारोको शान चढाकर उनकी धारे तेज की जा रही है। 9 कई राजपूत बदूकोसे निशाने लगा रहे है। 10 बहुत ऊधम मच रहा है। II देख करके। 12 इतनेमे। 13 इन । 14 प्रणाम किया। 15 एक बाजू नगा भारमलोत बैठा हुआ है, तो दूसरी एक वाजू पृथ्वीराजजी वैठे है। 16 विठलाया। 17 रावजी चिरजीवी हो। 18 प्रधान क्या कह रहे हैं ? 19 महाराज । ये यो कह रहे हैं। 20 हम आपको चाकरी करेंगे। 21 दूसरी किसी जागीरीका पट्टा कर देंगे। 22 आप स्वय ही विचार करके कह रहे है अथवा किसीके कहनेसे कह रहे हैं ?
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy