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________________ ॥ श्री गणेशाय नमः ।। अथ जैमल वीरमदेवोत नै राव मालदेरी वात लिख्यते वीरमदे देवलोक हुवो, ताहरां मेडतैरो टीको जैमलन हुवो। ताहरां राव मालदेजी जोधपुरसौ कहाडियो। जैमलन कह्यो-'मो सारीखा थारे दुसमण छ, अर तू चाकरानू सोह पडगनो मतां दे । क्युही खालसै हो राख । ताहरा जैमलरै ईडवो पावै अरजण रायमलोत । ताहरा जैमलजी अरजणनू आदमी मेलियो', कह्यो-'भाईनू बोलाय ल्यावो।' अर अरजणनू पण हुतो 'तेआये घरे नावतो, जैमलजी कनै जावतो।" आदमी आयो ताहरां अरजण गांव हुतो। ताहरां आदमी आयनै कह्यो-'अरजणजी थांनै जैमलजी बोलाया छ। रावजीरो जोधपुरसू कागद आयो छै, सु आप हालो । ताहरा अरजणजी बोलिया, कह्यो-'राज ! रावजी कागद मे काढूं लिखियो छै ?'10 ताहरां कह्यो-'रावजी लिखियो छ, सगळो ही मुलक चाकरांनूं देवै छै, पर क्युही खालस ही राखै छै ? अर वळे इसड़ो कोई छ जु कोई विचे ही ऊभो रहै ?'12 ताहरां अरजणजी कह्यो‘राज ! म्हारै पटो सबळो छै, हूं ऊभो रहीस ।13 ताहरां वळे कह्यो-'इसड़ो कोई छै जु विचमें ऊभो रहै ?' ताहरां अरजनजी वुरो मानियो 14 एकरसौ तो न रहै ।" यु कहै-'रावजी ! म्हे अर थे लडा ताहरा कोई बीच ऊभो रहै ?' ताहरो अरजणजी कह्यो-'जी, राज । हूं ऊभो रहीस । म्हारो ईज पटो सबळो छ। I कहलवाया। 2 मेरे समान तेरे दुश्मन है और तू अपना सभी परगना चाकरोको मत दे। 3 कुछ खालसेमे भी रख । 4 तब जैमलके अधिकारका ईडवा गांव अर्जुन रायमलोतको मिला हुआ था। 5 भेजा। 6 और अर्जनको यह प्रतिज्ञा थी। ? बुलाने पर घर पर नही जाता, जैमलजीके पास जाता। 8 अर्जुन गाँव गया हुआ था। 9 सो आप चलिये। 10 रावजीने पत्रमे क्या लिखा है ? II सभी। 12 और फिर कोई ऐसा भी है जो वीचमे खडा रहे। 13 मेरे पट्टा वडा है, अत मै खडा रहूंगा। 14 तव अर्जुनजीको कुरा मालूम हुआ। 15 एक बार तो ऐसा विचारा कि नहीं रहें। 16 मैं खडा रहूँगा।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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