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मुहता नैणसीरी ख्यात राव खीवै असवार पोकरण किया। सो असवार जायनै देखै तो नरै सूजावतरी प्रांण फिर छै । असवारां आयनै राव खीवेनूं कह्यो'पोकरण नरै सूजावत लीधी।
ताहरा खीमो पसवाडै चालियो पोकरणसौ कोसै तीने च्यारे।' पसवाड़े वहता हुता, तिसडै मारगमे एक एवाळियो मिळियो। लारै वकरो मारियो हुतो' । जीव नीसरियो हुतो, पण साबतो हतो । सो काधै लिये प्रावतो हुतो ।' उण आण वकरो दियो। ताहरा खीवै चाचैनं पूछियो। कहियो-'चाचा ! प्रो कासू कहै छ ? ताहरां चाच कहियो-'खीवाजी | ओ बकरो आपां जितरै कोसे जाय खावां, तितरै वरसे आपा नरो मारा ।30 ताहरां वाकरो लियो अर पाच छकड़ एवाळियनू दिया।' एवाळियो ल्यै नही । ताहरां कह्यो-'रे ! ल्य, माहरै सवण छ । ताहरा उवै लिया ।14 भिणीयाणे बारह कोसे जायनै बाकरो खाधो । लोचा-लाचो घणो ही कियो पण उरै बाकरो खावण न पाया। नरैरी चोकिया ठांम-ठाम बैठी छै ।16
नरो कोट माहै पैठो, ताहरां खीवैरी बैर कह्यो-'बेटा | कासूं म्हानू काळे, कैर-कांटो खावता हुता?” ताहरां कह्यो-'नांनीजी ! थे कैर-कांटो जाय अर खावो। म्हे अठे गेहू खावस्यां ।'18 ताहरां ___ इतनेमे राव खीवेने भी अपने सवारोको पोकरण भेजा। 2 पोकरण पर नरे सूजावतने अधिक र कर लिया। 3 तब खोमा (खीवा) पोकरणसे तीन-चार कोस दूर वाजूमे होकर चला। 4 वाजमे चले जा रहे थे कि मागमे एक गडरिया मिला। 5 पीठ पीछे एक बकरा मारा हुआ था। 6 प्राण तो निकल गया था परन्तु था सावित । 7 सो कये पर लिए हुए पा रहा था। 8 उसने लाकरके वकरा दिया। 9 यह क्या कह रहा है ? 10 यह वकरा अपन जितने कोसो पर जाकर खायेगे, उतने ही वो मे अपन नरेको मार सकेंगे। ॥ तव बकरा ले लिया और उसकी कीमतके पाच छकड गडरियेको दिये । (छकडएक पुराना सिक्का) J2 गडरिया लेता नहीं। 13 अरे ! लेले, हमारे लिये शकुन है। 14 तव उसने ले लिये। 15 वारह कोस पर भिणियाणे गावमे जाकर बकरा खाया। 16 खानेकी जल्दी वहुत की परन्तु उघर पूरी तरह खा नही पाय । नरेकी चौकियां जगह-जगह पर बैठी हुई है। 17 नराने जव गढ मे प्रवेश दिया तव खींवकी स्त्रीने कहा कि वेटा । कैर-काटा खाते हुमोको क्यो निकाल रहा है ? (कैर-काटो खावणो= महा० १ जैसे तैसे गुजारा करना। २ साधारण व हलके भोजन पर निर्वाह करना। ३ सुन्वते निर्वाह करना।) 18 हम यहां गेहूं खायेगे (मीज करेंगे)।