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________________ १०६ मुहता नैणसीरी ख्यात वास्तै । ' जाणू छू थांहरी मासी छे ईयरै घरै । नही तर हूं ईये कने हमारू कोट खोस लू । ताहरां लिखमी कह्यो - ' बेटा ! ढील न करो, वेगा हुवो ।" 10 ताहरां नरं प्रापरै प्रोहितनू कह्यो - 'तू जो एक बात करें तो आपां पोकरण त्या ।" ताहरां प्रोहित कहियो - 'हू हेरो करीस ।' ताहरा नरै प्रोहितनू कहियो - 'हूं तोनू सवारं वुरो वोलीस ।" तू मोनू" बुरो वोले अर पर्छ काले ऊंठ चढने पोकरण जाए परो ।" 8 0 12 13 ताहरा वीजे" दिन दरबार वेळा प्रोहित दरवार प्रायो । ताहरा नरो वोलियो- 'ह्रामखोर । मुहडो दिखाळो नां । 11 राज मांहै ये दुभाता घालो । " मांहरै थे न जोईजो । ग्रठासूं परहा जावो । 18 ताहरा प्रोहित वोलियो - 'हो नरा ! तू कियै भांत बोलै छै ? 15 अजू तो" रावजी जीवं छै, र कुवर पण घणा छै । तूं किसे वागरी मूळी छै ? 17 ताहरां प्रोहित चाकर कनां छागळ लेने कह्यो-नरा ! तोनूं जुहार करे सो बैरनू करें । 18 ताहरा प्राहित जायने कोटडी माहे ऊठ ऊपर कूची माडैनै हालियो । ताहरां चाकरा नरैनू कह्यो - असवारी रै खासै ऊठ ऊपर प्रोहित कूची मांडी छे ।' ताहरां नरं कह्यो - ' रे ! हरामखोरनू परहो जावण दो । 20 ऊंठ, घोडा ले अर परहो जावो । मुहडो दीठ करो । ताहरां प्रोहित ऊंठ चढि पोकरण गयो । 9 10 मैं आपके लिए ही इससे निभा रहा हू । 2 स्याल करता हूँ कि श्रापकी मौसी इसके घर है । 3 नही तो मैं अभी इसके पाससे कोटको छीन कर ले लू | 4 विलव मत करो जल्दी करो । 5 तो अपन पोकरण ले लें । 6 मैं जाँच करू गा । 7 मैं तुझको कल बुरा वोलू गा ( अपशब्द कहूगा ) । 8 मुझको । 9 तू मुझको बुरा बोलना और फिर कल ऊँट पर चढ कर पोकररण चले जाना । दूसरे 1 II हराम खोर | मुह मत दिखा। 12 राज्यमे तुम विरोघ टाल रहे हो 13 हमको तुम्हारी जरूरत नही है । 14 यहासे चले जाश्रो । रहा है ? 16 अभी तक तो । 17 तू किस बागकी मूली है ? 18 फिर पुरोहितने चाकरके पाससे छागल ले करके (हाथमे पानी ले करके) कहा कि नरा । तेरेको अव जो जुहार करे सो अपनी स्त्रीको करे । (छागल =वकरीके वच्चेके चमडेका वना हुग्रा जल - पात्र, दीवडी ) 19 तच पुरोहित कोटडीमे जाकर ऊट पर पलान कस करके रवाना हुआ। 20 अरे । हरामखोरको जाने दो । । 15 तू किस प्रकार वोल
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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