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________________ ६६ ] मुहता नैणसीरी ख्यात मलोत } ठाकुर। अ आइनै रेयां उतरिया ।' यांनू हुकम हुतो जु'अजमेरसू वीरमदेनू परहो काढो । तिको रातिरो खड़ियो वीरमदे रेयां प्रायो। अर प्रागै अणजांणियो साथ तयार हुतो हीज । पछै लड़ाई हुई । वीरमदेन अळवी पडी। वीरमदेरो साथ घणो काम आयो । तीन घोड़ा वीरमदे हेठे कटिया ।' छुरी कार घोड़े चढियो छै । दस वरछी आगलांरी खोस वाग भेळी झाली छै। माथै माहै घावांरी चौकड़ी पडी छ ।' लोहीरा प्रवाह डाढी माहै उतरिया छै ।10 वेज फोजां जुद्धसौ धापिनै उवै उवे कांनी ऊभी छै ।11 वीरमदे घायल आपरा सभाळे छै ।12 पर्छ पचायण आयो। आयनै कहियो-'इसड़ौ वीरमदे कठै लहस्यो; ' - ज आज थे नही मारो छो ?'13 ताहरां सिरदारां कहियो-'भाई । म्हे तो एकरसौ छाती ऊपरासौ गिजा नीठ परही कीवी छ । भाई ! म्हारै किये तो वोरमदे मरै नही । अर16 जो तू मारै तो यो वीरमदे छ ।' ताहरां पचाइण तीसा असवारासू वीरमदेजोरै ऊपर आयो । ने वीरमदेजीनू वतळायो।" ताहरां वीरमदेजी कहियो-'रे पंचायण ! त छ ? भला, पाव । पचायण ! तो सरीखा छोकरा मारवाड़ माहै घणा छ, जो वीरैरी पूठ केहीसौ चापी जाय तो ?18 ताहरां पंचायण I ये। 2 इन्होने आकर रीयामे मुकाम किया। 3 इनको हुकम हुआ था कि वीरमदेको अजमेरसे निकाल दो। 4 इधर वीरमदे भी रातको चल कर रीया पाया। 5 और आगे अज्ञान सेना तैयार ही थी। 6 वीरमदेको यह लडाई दुसह हुई। 7 वीरमदेके नीचे (मवारीके) तीन घोडे कट गये। 8 शत्रुयोकी दस वछिया खोस कर वागके माथ हाथमे पकह रखी हैं। 9 गिरमे घावोकी चौकडी पड गई है। 10 दाढीमे रक्त के प्रवाह वह कर उतर रहे हैं। II दोनो सेनाएँ युद्धसे तृप्त होकर अलग अलग खड़ी है। 12 वीरमदे अपने घायलोको संभाल रहा है। 13 वीरमदेको ऐसी दशामे फिर कब पानोगे, जो अाज तुन उसे नहीं मार रहे हो ? 14 हमने तो एक वार वडी कठिनतामे छाती ऊपर आई ग्राफतको दूर किया है। 15 हमारेसे तो। 16 और। 17 ललकात। 18 पत्रायण । तेरे समान मारवाड़मे वहुत छोकरे हैं, परतु वीरमकी पीठ चापने वाला भी तो कोई हो? (लकिन मुझे कोई दिखाई नहीं देता।)
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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