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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात [ ६५ जाहरां राव गांगोजी देवलोक हुवा, ताहरा मालदेजी टोकै बैठा । हमै मालदेजी वीरमदेनूं लागो सु इसो लागो सु इयांनू सास न खावण दै । कहै-'मेड़तो छाडो, अर अजमेर जाय वसौ।' ताहरां वीरमदेजी मेड़तो छोडियो । अजमेर माहै परमार रहता, तिकांनू मार अजमेर वीरमदेजी लियो। ताहरां सहिसो नासनै मालदे कनै आयो । मालदे पाचां गांवांसू रेयां दीवी। ___ जाहरां रायसल आनासागर ऊपर गोठ कीवी, ताहरा साथ सगळो ही बोलायो । ताहरां खीमै मुहतैनू कह्यो- 'जावा छा गोठ जीमण ।' थे रावनूं वीटळी मतां चढण देज्यो । जाहरा वीटळी चढसी ताहरां रेयांरी डूगरी देखसी, ताहरां सहसो चीता आवसी ।' ताहरा कहसी-'सहसैनू मारियां विगर पाणी नही पोऊ।' मुहतैनू कहिन रायसल गोठ जीमण गयो। अर (राव) खीमै मुहतैनू कहियो-'प्रांपां वीटळी जाविनै मिठाई मंगाविस्या । वार १--२ मुंहत खीमै वरजिया, पण रहै नही ।' पछै वीटळी जाय चढिया । चढिनै मारवाड साम्हा जोयो । जोयनै कह्यो-'या रेयांरी भाखरी नही हुवै ? 11 कहियो-'पा भाखरी तो नैड़ी। इयै सहसैनूं न मारू तो म्हारो बाप छै ।13 पछै साथै रायसल ही आयो । परधांने तो घणो ही कहियो । अर राव मालदेवजी हुतो नागोर । ताहरा राव मालदेवजी कहै'वोरमदे म्हारी छाती माथै छै ।'15 ताहरा दस हजार घोड़ो रडोद थाणे हुतो', नै17 माहै जैतो, कूपो, अखैराज सोनगरो, वीदो भार । अब मालदेव वीरमदेके पीछे लगा सो ऐसा लगा कि इन्हें स्वास न लेने दे । 2 उनको। 3 भाग कर। 4 मालदेवने पाच गावोके साथ रीयाका पट्टा कर दिया। 5 गोठ जीमनेको जा रहे हैं। 6 पहाडी । 7 याद आ जायेगा। 8 और रावने खीमे मुहतेको कहा कि अपन भी वीटली गढ पर जाकरके मिठाई मगायेंगे। ('वीटली' अजमेरके तारागढका नाम है ।) 9 मुहते खीमे एक दो वार मना किया, परन्तु उसका कहना माना नहीं। 10 गढ पर चढ़ करके मारवाड़की ओर देखा। II यह रीयाकी पहाडी तो नही हो? 12 यह पहाड़ी तो नजदीक है। 13 इस सहसेको न मारू तो यह मेरा वाप है। 14 था। 15 वीरमदेमेरी छाती पर पड़ा है। 16 उस समय रडोदके थानेमे मालदेवके पास दस हजार घोडो का समूह था। 17 और ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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