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________________ ८० मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-“म्हे तोनू चीतोड़ दीनी ।" तद लोहड़े भाई कह्यो-“मोनू चीतोड़ कुण देसी ? चीतोड़रा धणी थे छो ?" तरै समरसी कह्यो"म्हारो बोल छै । चीतोड़ तोनू दी।" तर उण कह्यो-"चीतोड़ खरी दी तो रजपूतांरो बोल है तरै ।" तद आप रजपूतांनू कह्यो"ठाकुरां ! सगळा बोल दो।" तरै रजपूतां कह्यो-“थे खरै-मन दी . छै ? म्हां कना बोल समझ नै दिरावज्यो ।” तरै आप कह्यो-"म्हे खरै-मन दी छै । थे निसंक बोल दो।" तरै रजपूते सगळे बोल दियो। तर ठाकुराई सोही भाईनै दे नै, रांणाईरो खिताब देनै, आप आय गांव आहाड़ वसियो । कितरेक दिने कितराक साथसू कहण लागो -"जु आ धरती म्हे भाईनूं ... दीनी । इण धरती माहे तो मोनू रहणो धर्म नहीं। काइक बीजी .. धरती खाटी10 " ___ तरै बाटबडोद डूगरपुर कनै छै । तठे चोरासी-मिलक'], भोमिया आदमी ५०० रो धणी छै । तिको, एक डूम12 इणरै छै13, तिणरी वैरसू चोरासी-मिलक हालै छै14 । जोरावर थको चौड़े-चापटै15 । संक .. किण हीरी मानै न छै। ईं म घणो ही बल-बल16 मरै छै । उण डुमरी वैरनू लेनै आप माळिये17 सूवै, तठा पछै सारी रात वळे डूमनं ओळ गाडै18 । किण ही दिन डूम ओळगण नावै तो मोहकम कूटा.19 डूम नासण मतै छै । पिण ऊपर रखवाळा आदमी रहै, तिण आगै कठी ही नास न सके । डूंम पिण सासतो घात जोवै छै21।... 1 मुझको चित्तोड़ कौन देगा? 2 चित्तोड़के स्वामी आप हैं। 3 मेरा वचन है। 4 तब उसने कहा-सत्रमुच ही दी हुई तो तव समझी जायगी जब आपके सरदारोंका वचन भी साथमें हो जाए। 5 तब क्षत्रियोंने कहा-आपने सच्चे मनसे दी है ? हमारेसे वचन समझ करके. दिलवाना। 6 राज्य-सत्ता । 7 समस्त । 8 पदवी। 9 अपने साथवालोसे कहने लगा। 10 कोई दूसरी धरती प्राप्त करनी चाहिये । . 11 चौरासीमालिक । 12 गाने-बजानेका काम करने वाली जातिका एक व्यक्ति। 13 इसके ... पात है। 14 उसकी पत्नीसे चौरासी मालिक रमण करता है। 15 जबरदस्तीसे खुले आम 1 16 डूम वहुत ही जलता है 1 17 महल । 18 गायन करवाता है । 19 किसी दिन इम गानेको नहीं मावं तो उसे खूब पिटवाता है। 20 ड्रम भागनेके विचारमें है.। ... 21 डुम भी सदैव (शाश्वत) भागनेकी ताकमें रहता है। सच्चे मनसे ...
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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