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मुंहता नैणसीरी ख्यात . औ पाछा डूंगरपुर आया। मैं जांएगे छै मन मांहे म्हे वडो काम कर
आया छां । सु म्हे क्यूंई वधारो पावस्यां'। मांहरो घणो मुजरो हुसी। सु रावळ रै कोई खवासण-धाइभाई हुतो सार्थे । सु फोज मांहीथी' आगै वध नै घरै आयो थो। तिको पछै रावळ प्रथीराजरै मुजरै आयो । तरै उणनुं जगमाल ऊपर फोज गई ती तिणरी हकीकत एकंत तेड़ पूछी । तरै औ लोक क्यूंही मरण-मारणरी वात समझ नहीं । तद रावळ आगै कह्यो-"जगमाल मारणरी घात मांहे आयो हुतो, पिण चहुआंण मेरे, रावत परबत टाळो कीयो' ।" इण पांणीरा पोटला सोह साचा कर बांध्या । वे ठाकुर फोज ले डूंगरपुर आया । तरै रावळ प्रथीराज माहे वैस रह्यो । इणांरो मुजरो ही लियो नहीं। औ दिलगीर हुय डेरै गया । पछै आपरा इतबारी चाकर खवास पासवांनां साथै इणांनूं घणा
ओळंभा कहाड़ीया । "थे लूणहरांमी हुवा । जगमाल जाण दीयो। बोहत बुरी की। म्हे थांनू दोनूं वास राखां नहीं ।" इऐ कह्यो-“म्हे तो भली चाकरी करी छ । रावळजी न जांणियो तो भली हुई।" तरै उण साथै इणांनूं तीन पांनारा बीड़ा मेलिया हुता सु दीया । तद औ रीसायनै चढिया । सु घरै गया नहीं। ज710 जगमाल भाखरे थो, त1 औ दोन कोस एक ऊपर आय उतरिया । आपरै घरमांहे वडा आदमी परधान था, सु जगमाल कनै मेलिया । कहाड़ियो-'थांरो दिन
वळियो । थारै धरतीरी चाह छै तो वेगा आय म्हांसू मिलो' इणांरा : परधान जगमाल कनै गया । सारी बात समझाई, कही । तरै जगमाल
कहण लागो । मोनू इणां ठाकुरांरो बेसास13 आवै नहीं। तद परधानांसू सपत कर14 जगमालरी हद-भांत15 खोतर करी16 । पछै जगमाल परधानांनू साथे कर चहुवांण मेरो परबत कनै वे पाधरा आया । सीलकोल17 करड़ा हुवै छै । तिसड़ा करनै इणां ठाकुरांनै जगमाल
1 सो हम कुछ (पृथ्वीके रूपमें) और इनाम पायेंगे। 2 सत्कार । 3 रावलके साथमे कोई खवास-धाभाई साथमें था। 4 में से। 5 सेवामें आया। 6 एकान्तमें बुलाकर ... पूछा । 7 परन्तु चौहानों, मेरों और रावतने पहाड़का आश्रय लिया। 8 इसने सभी झूठी
वातोंको सच्ची करके दिखादी । 10 जहाँ। 11 तहां। 12 तुम्हारे दिन फिर गये अर्थात् अच्छे दिन आगये। 13 विश्वास । 14 शपथ । 15 अत्यधिक । 16 आश्वासन दिया। 17, 18, - 19 जितनी भी कड़ी प्रतिज्ञा होती है वैसी करके इन ठाकुरोंको जगमालके पास ले गये।
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