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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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छूटो छे । कित एक दिना चावड़ांरा ही मगरा ' अबदूळे छुड़ाया । सु रांणो अमरसिंघ घणो हीज पछतावो करै छै । भवनूं कहै छै - “भींव ! देख ! आंपांथी 2 चावडांरा मगरा छूटा । आ वड़ी ठोड़ छूटी । मोनूं उदैपुर छूटांरो धोखो न हुवो तितरो इण ठोड़ छूटांरो पछतावो हुवै छै । इण ठोड़-छूटतां एक रातीवासो' ओ बीजो अबदूलै सूनो कियो तो घणो बुरो दीससी' । तरै भीम तसलीम कर कह्यो - " अवस दीवांण ! आज अबदूलाथी इसो मामलो करूं 20, लड़तो २ अबदुलारी डोढियां तांई" जाऊ" दीवांणसूं कहने 2 विदा gat 3 | सुआ खबर अबदुलैनै हुई, जु ! भींव वीदा हुवो सु कहै छै 14- "हू 15 लड़तो २ अबदूलारी डोढियां तांई " जाईस 7 ।” सु अबदूल ही घणा 18 पातसाही लोक उमराव था सु दोढियां राखिया छै । भींव दिन घड़ी ४ चढतां विदा हुवै छै । सु पहली तो केई आपरी ” धरतीरा लोक तुरकांसूं जाय मिलीया था, त्यांसूं 20 मामलो कियो । पछै रात आधी एकरो 22 अबदूलारा लसकर ऊपर तूट पड़ीयो सु पेहली तो आडै धंस 22 आया सु वाढ़ नांखीया 23 | घणा घोड़ा, रजपूत, पातसाही लोक डेरा मारिया 24 | यूं करतां मारतो कैहतो "आवै माहरांणो अमरसिंघ 25 ।" सु असवार हजार दोयसूं दोढियांरं मुंह 26 आयो । अबदूले ही घणी जाबता 27 कीवी थी । दोढी घणो साथ 28 सु अठै लड़ाई हुई । घणो तरवारियांरो रीठ पड़ियो । पातसाही लोक, सिरदार, मांणस ३० ५० तथा ६० वडा उमराव मारिया । अठ
1 पहाड़ | 2 अपनेसे । 3 रक्षाका यह बड़ा स्थान भी छट गया । 4 मुझको । 5 उतना । 6 पश्चाताप होता है । 7 रातको रहनेका ( भय रहित ) स्थान | 8 यह । T/8/9 यह दूसरा रात्रिनिवासका स्थान भी अबदुलेने अपने से छुड़वा कर सूना कर दिया तो बहुत बुरा दीखेगा | 9A प्रणाम करके । 10 युद्ध करूं । 11 तक | 12/13 कह कर रवाना हुआ। 14 भीम अपने ऊपर चढ़ कर रवाना हुआ है और वह कहता है कि । 15 मैं । 16/17 ड्योढ़ी तक चला जाऊँगा । 18 बहुत से । 19 अपनी ही । 20 उनसे । 21 लगभग आधी रातको । 22 सामने | 23 काट डाले। 24 डेरोंका नाश किया। 25 यों मारता जाता और कहता जाता था कि 'महाराणा अमरसिंह आ गया है' । 26 ड्योढ़ीके द्वार पर आ गया । 27 प्रबंध किया था । 28 सैनिक 29 तलवारोंसे घमासान युद्ध हुआ । 30 मनुष्य |