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________________ ५६ मुंहता नैणसीरी ख्यात आयो, तेरे साथनूं कह्यो' - "आप तुरकांनूं मारस्यां । खवरदार रहज्यो" तद साथ कह्यो - "दीवांणसूं गुदरावो" प्रथीराज को"म्हे' दीवणसूं गुदरावस्यां । मारल्यो ।” पाछो कोटमें आवतसमा' तूट पड़िया' । डेरा ऊपर मार लीया । पछे दीवांण आ वात सुणी । तर प्रथीराजसूं रीसांणा' । प्रथीराज कह्यो - "दीवांण ! आप तो घणाई दिन धरती भोगवी" । हम म्हे मोटा हुआ । दीवांण ! विराज्या रहो" । म्हे धरतीरी खवर लेस्यां 12 | " सु मांडवरा पातसाहरो उमराव ललाखांन तोडै रैतो सु उणरी तावीनरो 3 लोक अठै जेजियो उघरावणनूं आवतो सु प्रथीराज मारियो आ पुकार ललाखांन कनै पूगी । तरै ललाखांन चढियो । चढती ही नै मगरोप, आकोलो, अ मेवाड़रा गांव छे, सु मारिया " । लोक बंध किया 5 । तरै पुकार आई, प्रथीराज कनै । तद प्रथीराज कुंभळमेरसूं चढियो दिन-आथवतांरो" । सु परभात जाय तोडै ललाखांननूं मारियो । मार नै साथनूं पूछियो - क्यूं ठाकुरां ! अठायी सूरजमल खींवावतनूं किण ताकथी मारियो जाय 7 ? तर किणहेक कह्यो-हां राज ! सूरजमल आठमरो- आठम 8 गांव ऊंटाळावरं कनै चारण देवी छै तिरै आवे है " " 14 -18 - वात मेवाड़ रांगा अमरारो विखो छै20 पातशाह जहांगीर दृढ़ लागो छै । साहिजादो खुरम, अबदुलो लारें है । सु इणासूं उदैपुर वापस आया, 4 अर्ज करो, 13 1 और कुमारने इस बातको सुन कर जब वह शिकार खेल कर तब अपने साथ वालोंको उसने कहा । 2/3 अपन तुर्कोंको मार देंगे । पूछा जाय 15 हम 16 अर्ज कर देंगे । 7 आते समय । 8 टूट पड़े । 9 10 आपने तो बहुत दिनों तक देशका राज्य कर लिया। 11 दीवान ! रहें । 12 हम देशकी सार-सम्हाल करेंगे । उसको अधीनता के मनुष्य 1 14 लूट लिया 1 15 वहाँके मनुष्योंको क़ैद कर दिया । 16 संध्या समय 17 किस प्रकार मारा जाय 1 18 प्रति अष्टमी 1 19 चारण देवी है उसके दर्शनको आता है । नोट- प्रसंग अपूर्ण लिखा हुआ प्रतीत होता है। 20 मेवाड़का राणा अमरसिंह गुप्त रीतिते पहाड़ों में विपत्तिके दिन काट रहा है । - 21 हठ पर चढ़ा हुआ है 1. 22 पीछे लगे : हुए हैं। 23 इनसे 1 12 नाराज हुआ । आप अब बैठे
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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