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________________ ४९ मुंहता. नैणसीरी ख्यात १ भैंसरोड, गांव १२४ खखर-भखररी' ठोड़ छै, रांणारै। १ मीमच, गांव ४५ छै । चीतोड़सूं कोस १५, रु० २,२५०००)। १ वसाड़, संमत १६९४ पैंजारखांन रावत केसरीसिंघ मार लीयो। मनदसोर निजीक । १ सुणेर, गांव १२ रांमपुरा कनै । संमत १६९४ में तागीर। १ डूंगरपुर, संमत १६९४ तागीर कियो । संमत १७१५ वळे दियो। १ देवळीयो तागीर कियो थो । संमत १७१५ वळे दियो । १ वांसवाहळो एक वार उतरीयो छो । हमै तो रांणारै छै । १ वेघम, गांव ९४, चीतोड़सूं कोस १२, बूंदीसूं कांकड़। रु० १०,०००)। 'वात १ चारण आसीये गिरधर कही। संमत १७१९. रा भादवा सुदी. ९ नै मांडवरो पातसाह वहादर एक वार गढ चीतोड़ ऊपर आयो। गढ़ घेरियो तिण दिन चीतोड़ टीके रांणो विक्रमादित्य सांगारो, वाळक छै। हाडी करमेती हाडा नरवद भांडावतरी बेटी । तिणरै पेटरो उदेसिंघ, विक्रमादित सगो भाई' छै । पछै कितरेहेक दिन गढ एकण तरफ भिळियो' । सीसोदीया खांडारै मुंहै गया । त, आदमी १४ सिरदार काम आया । तितरै मांहले बाहरले वात कीवी" । गढ ऊपर पातसाहरा आदमी गया, तरै रांणारा आदमी तळेटी आय नै सला करी। उदैसिंघनूं कौल-बोल दे नै पातसाहरै पांव ले गया । चाकरी राणा उदैसिंघरी कबूल करी । बहादर पातसाह उदैसिंघनूं ले नै कूच कियो। कितराहेक दिन हुवा । पातसाह बहादररै बेटो न छै14, तरै अमरावे5 पधार नै अरज पोहचाई। 1 स्थान विशेषका नाम (वन-पर्वत)। 2 जन्त । 3 पुनः दे दिया। 4 अब तो रानाके अधिकारमें है। 5 चित्तोड़गढ़ पर चढ़ कर आया। 6 कोखका । 7 सहोदर भाई । 8/9 कितनेक दिन बाद गढ़में एक ओरसे प्रवेश कर अधिकार कर लिया। 10 शिशोदिया तलवारके मुंहसे काम आये। 11 इतनेमें भीतर और बाहर वालोंने परस्पर वातचीत की.। 12 उदैसिंहको वचन दे कर बादशाहके चरणोंमें ले गये। 13 कितनेक दिन हो जानेके बाद । 14 नहीं है। 15 तब राजाओंने जा कर अर्ज पहुंचाई।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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