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मुंहता नैणसीरी ख्यात वात पहली यूं सुणी थी । संवत १६२४ चीतोड़ तूटी । तठा पर्छ रांण उदैसिंघ आय उदेपुर वसायो', सु खिड़ीये खींवराज कह्योचीतोड़ तूटी पेहली वरस ५ तथा १० उदैपुर राणै उदैसिंघ वसायो थो । उदेसागर पण पेहली करायो छो। चीतोड़ तूटी पछै रांणो उदैसिंघ आयोई नहीं। घोचूंदै हीज रह्यो । रांण उदैसिंघ संमत १६२९ घोबूंदै काळ कियो । राणा प्रताप टीको घोबूंदै हुवो।
कछवाहो मानसिंघ कँवर थको गुजरात गयो थो। पाछो वळतो' नीसरियो तरै सलूंबर आयो, तरै रांणो घोचूंदै छो । उदैपुर मानसिंघने मेहमांनी करी, तिणसूं वेरस' हुवो । पछै मानसिंघ पातसाह कनै गयो । हकीकत कही। तद मेवाड़ ऊपर वहीर हुवो । खंभणोर वेढ़ हुई । तठा पर्छ रांणामें विखो हीज रह्यो । संमत १६७१ रांणो अमरसिंघ साहजादे खुरमसू मिळियो । तठा पछै रांणो अमरसिंघ उदैपुर आयो । तठा पछै राजथांन3. उदैपुर हुवो । रांणानूं मेवाड़ हुई, तद मेवाड़ ऊपर पंचहजारी जात,पंच हज़ार असवाररो मुनसब दियो छो । तिणरी जागीरमें इतरी ठोड़ दीवी छी'5- ..
.: १ मांडळगढ, संमत १७११ उतरियो थो । संमत १७१५ वळे पाछो दियो । रुपिया. २०००००) . .१ वधनोर, संमत १७११ उतरीयो थो। संमत १७१५ वळे दियो छै। . . १ फलियो, उरो लियो संमत १६९४ पातसाह साहिजहां। . , १ जिहरण गांव १२, देवळियारी गड़ासिंध छै । .....: : 1 इस प्रकार । 2 वि० सं०.१६२४ में चित्तोड़ टूट गया (चित्तोड़में पराजय हो गई), जिसके बाद राना उदयसिंहने आ कर उदयपुर बसाया । 3 जिसके सम्बन्ध में खिड़िया चारण खींवराजने इस प्रकार कहा । 4 था । 5 आया ही नहीं। 6 मर गया। 7 राना प्रतापको राज्य तिलक घोबूंदामें हुआ । 8 राजकुमारको स्थितिमें। 9 पीछे लौटता । 10 निकला। 11 मनोमालिन्य । 12 जव मेवाड़ पर चढ़ कर रवाना हुआ। 13 राजस्थान । 14 रानाको जब मेवाड़ मिली तब मेवाड़ पर (रानाको) पांच हजार जात और पांच . . हजार सवारका मनसब दिया था । 15 जिसकी जागीरमें इतने स्थान दिये थे 1-16 जान्त : हो गया था।-17 फूलिया, जो पहिले मेवाड़में था और शाहजहांने जिसे वि० सं०. १६६४: . में जब्त कर लिया था (उसे वापिस नहीं दिया) 118 निकट । ........ ......