SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 371
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वात पारकर सोढांरी - पंवारै भिले धरणीवराह वाहड़मेर धणी हुवो । तिरै वेटो छाड़ हुवो । तिरै घरै पछरा हुती । तिरै बेटा दोय २ – सोढो न वाघ । तिण वाघरा सांखला कहीजै' । सोढो; तिरी श्रीलादरा सोढा पीढी १ धरणीवराह । २ छाड़ | ३ सोढो । ४ चाचगदे । ५ राजदे | ६ जैभ्रम । ७ जसहड़ | = सोमेसर | १ ग्रासरव २ देवराज । ३ सलख । ४ देपो । ५ खंगार । ६ भीम । ग्रांक १० ७ वैरसल । ८ भाखरसी, वडो दातार । गांगो । १० प्रखो । १० चांदो । ११ मांणकराव । 3 १२ लूंणो, देपो हमैं छै । धारावरीस | १० आसराव, पारकर धणी । १० दुजणसळरा ऊमरकोट वणी । चांदन सोढो पारकर वडो दातार हुवो । भाट बाळवनं कोड़ दांन दियो । वात पारकर सैहर मैदांन मांहै वसै छै नै छोटी सी भाखरी " ऊपर सोढा चांदनरो करायो गढ़ छे । तठे रांगो हुवै सु रहे । गढ़ मांहै अंबारथ सखरी छै' । वावड़ी एक गढ़ मांहे पांगीरी छै, तिण गढ़ हेठे सहर I उस वाघके वंशज सांखला कहलाते हैं । 2 दुजासलके (दुर्जन साल के ) वंशज उमरकोट के स्वामी । 3 लूगा और दीपा इस समय हैं । 4 पारकरमें चांदन सोढा बड़ा दानी हुआ, भाट बालवको उसने एक करोड़का दान दिया था। 5 पहाड़ी । 6 जो राणा होता है वह वहां रहता है । 7 गढ़में इमारतें अच्छी हैं ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy