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________________ २६४.] मुंहता नैणसीरी ख्यात ६६ राजा काकिल । काकिलरै बेटा ४ १ हणूंत, अांबेर आयो। १ अलधरो, तिणरा मेड़-कछवाहा कहीजै। १ रालणरा रालणोत कहीजै । १ देलण, तिणरा लाहरका कहीजै ।। ७० राजा मलैसी, जिण मलैसीरै रांणी मेलणदे खीचण, अनळ खीचीरी बेटी । जिरण पीहरसूं खांथड़िया-प्रोहित गुर आंणिया । पैहली गांगावत था सो दूर किया । मलैसीरै बेटा ४ हुवा १ वीजळदे, प्रांवेर पाटवी । १ बालोजी, जिण खेत्रपाळ जीतो । सात तवा वेधिया । १ जैतल, जिण आपरा मांसरी बोटी काट तिणसू आपरै साहिव ऊपर बैठी ग्रीधण उड़ाई। १ भींवड़ नै लाखणसी बेऊ10 पुंजनरा, त्यांरा परधांनका कछवाहा कहीजै । ७२ राजादे वीजळदेरो तिणरा बेटा । १ राजा कल्याणदे अांबेर ठाकुर । १ भोजराज नै दलो, त्यांरा लवांणका-कछवाहा कहीजै । १ रामेस्वर, तिणरा रांणावत-कछवाहा कहीजै । १ सोहो, तिणरा सीहांणी कहीजै । _I अलधराके वंशज मेड़-कछवाहा कहे जाते हैं। 2 रालणके वंशज रालणोत कहे जाते हैं। 3 देलणके वंशज लाहरका कहे जाते हैं। 3 राजा मलसीके मेलणदे खीचरण रानी जो अनल खीचीकी बेटी। 5 जो अपने पीहरसे खांथड़िया-पुरोहित गुरुओंको साथ ले आई। 6 इसके पहले गांगावत गुरु थे जिनको दूर कर दिया। 7 वीजलदे अामेरका पाटवी राजकुमार 1 8 बालोजी जिसने क्षेत्रपालको जीता और लोहेके सात तवोंको एक तीरसे वेध दिया था। 9 जैतल जिसने अपने घायल स्वामीके ऊपर बैठी हुई गिद्धनीको उड़ानेके लिये अपने मांसके टुकड़े डाले और उसको वहांसे उड़ाया । 10 दोनों । II जिनके वंशज प्रधानका कछवाहे कहे जाते हैं । 12 जिनके वंशज लवाणका-कछवाहे कहे जाते हैं। 13 जिसके वंशज रागावत-कछवाहे कहे जाते हैं। 14 जिसके वंशज मीहागी कहे जाते हैं। ..
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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