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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात अखैराजोत', भदो, कह्न पंचायणोत, जैसो भैरवदासोत । मारवाड़रो सारो साथ ले नै उदयसिंघरी मदत अखैराज आयो । वणवीरसँ गांव माहोली बडी वेढ' हुई। कोई कहै छै वणवीर मारीयो । कोई कहै छै वणवीर भागो नै उदैसिंघ चीतोड़ धणी हुवो' । महा उग्र तेज हुवो । तठा पछै1 अकबर पातसाह चीतोड़ ऊपर आयो । संमत् १६२४ राणो भाखरे गयो । जैमल सीसोदीयो, पसो14 जगावत और घणो साथ काम आयो । पछै संवत १६२४ रांण उदैसिंघ चीतोड़ छोड़ उदैपुर वसायो । आगे आ ठोड़ देवड़ारा गाँव ५० गरवो कहीजतो । उदेसागर तळाव बंधायो । संवत १५७९ रा भादवा सुद ११ रो जन्म । संवत १६२९ रा फागुण सुद १५ राणो उदेसिंघ काल प्राप्त हुवो” । ७ भोजराज सांगावत' । इणर्नु, कहे छै मीराबाई राठोड़ परणाई हुती । . ... . ७ करन रतनसीरो भाई । . राणा उदैसिंघरा बेटारी विगत - ९ राणो प्रताप, सोनगरा अखैराजरो दोहीतो । .... ९ कहू, करमचन्द पवाररो दोहीतो । ९ फरसराम । .९ भोजराज । ९ दुरजनसिंघ । ९ रुद्रसिंघ । 1 राव रिणमलके पुत्र अखैराजका पुत्र राणा । 2 भद्दो और काला, अखैराजके पुत्र पंचायणके पुत्र हैं। 3 भैरवदासका पुत्र जैसा । 4 समस्त । 5 सरदारों सहित सेना। 6 ले कर। 7 लड़ाई। 8 मारा गया। 9 उसिंह चित्तोड़का स्वामी बना। 10 अत्यन्त तेजस्वी हुआ। 11, 12 जिसके बाद अकबर बादशाह चित्तोड़ पर चढ़ कर आया । 13 राना उदैसिंह भाग कर पहाड़ोंमें चला गया। 14 जगाका पुत्र पता ('पसो" अशुद्ध है)। 15 बहुत सरंदार और सेना काम आ गई। 16 पहले इस स्थान पर देवड़े चौहान राजपूतोंके ५० गांव थे जो 'गरवा' नामसे प्रसिद्ध थे। 17 स्वर्ग वासी हुआ। 18 सांगाका पुत्र । 19 कहा जाता है कि भक्त-शिरोमणि 'मोरांबाई मेड़तणी' इसको व्याही गई थी।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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