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________________ २६२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात संमत १३०४ माधव वांभण' परधान हुनो। तिण नै वाघेलां विगड़ी ; तरै ो जायनै अलावदी पातसाहनूं ले पायो । मजल-मजलरा लाख-लाख टका दे ल्यायो । पछै धरती तुरके लीवी । पातसाह अलावदी टाकांनूं थांण राखियो हुता सु अलावदी समंदमें नांख अ टाक पातसाह हुवा। वरस ४५ सुलतांन कुतबतारखां । ३१ फरेखांन । ३३ गदाकर। ३४ अहमंद, जिण अहमदावाद वसायो । संमत १४३७ ।। १० दाऊदखांन । ५८ महमंद वेगड़ो। २५ मुदाफर । २२ सिकन्दर। १२ महमूद। १० वहादुर। १५ महमंद । १८ मुदफर' । पछै संमत १६२६ काती सुद १५ अकबर पातसाह गुजरात लीवी। सोळंकियांरी साख इतरी11 १ सोळंकी। २ वाघेला । ३ रहवर । ४ बेहला । ५ वीरपुरा । ६ खैराड़ा। ७ सोझतरा । ८ पीथापुरा। ६ खालत । १० भुथंड, सिंधनूं तुरका । ११ डहर, सिंधमें तुरक छै ।। १२ रूझा सिंध, थटैनूं तुरक छ । I ब्राह्मण । 2 उसके और वाघेलोंमें बिगड़ गई। 3 वादशाह अलाउद्दीनने टाकोंको. थाने पर रखा था सो अलाउद्दीनको समुद्र में डाल करके ये वादशाह वन वैठे। 4 कुतुवतातारखां। 5 फरेवान। 6 मुदाफर। 7 अहमद, जिसने सम्बत् १४३७में अहमदाबाद . . . . वसाया। 8 मुजफ्फर। 9 मुहम्मद। 10 मुदाफर। II सोलंकियोंकी इतनी शाखायें . .... हैं। 12 भुयंड शाखाके सोलंकी मुसलमान हो गये, सिंधमें रहते हैं । 13 डहर शाखाके सोलंकी सिंधमें मुसलमान हैं। 14 रूझा शाखाके सोलंकी सिंघ और थट्टेमें मुसलमान हैं।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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