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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात नरवर गोना चलै नीवते, सुण सुरतांण जु कीनी सांगै, समपै सिखर सबाही | मुकंद तणा थर मांही ॥ ३ ॥ लोह तणै रस लागो । माल - तणौ सझीयो मोगरथट, पूरव देस भंगाण पड़ते, भौतिण पँडवो भागो ॥ ४ ॥ ६. राँगो सांगो रायमलरो वडो भाग बळी' हुवो । घणी धरती खाटी' । माँडवरो पातसाह साँगे दोय वार पकड़ नैं छोडीयो । पीळीयाखाल' सूधी' एक वार हद कीवी' । पछे बाबर पातसाहसू वेढ़' हुई, तठे राँगो सांगो भागो । सांगानू कवर वाघा सूजावतरी बेटी धनाई परणाई थी, तिणरो बेटो राँगो रतनसी । १९ ६ किसनारा किसनावत । ६ धनो रायमलरो अउत' । ६ देवीदास अउत । ६. पतो राँमो अउत 7 संमत् १५३९ रा वैसाख वद ९ सांगारो जनम | संमत् १५६६ जेठ सुद ५. राँगो सांगो पाट बैठो । संमत् १५९४ रा काती सुद ५ सीकरी बाबर ( हुमायूँ ) पातसाहसू वेढ हारी । रांणो साँगो वडो प्रतापबळी ठाकुर हुवो । घणी धरती खाटी । संमत् १५३९ रा वैसाख वद ९ रो जनम । घणो तपीयो' । उडणो प्रथीराज मुंवाँ पर्छसुदै" हुवो । पेहली घणो विखे फिरीयो । पछे वडो ठाकुर हुवो । इसड़ो चीतोड़ राँणो कोई न हुवो । दोय वार माँडवरो पातसाह पकड़ छोडीयो । पीळीयेखाल जाय बाबर पातसाहसू लड़ीयो तिका जिस राना सांगाको, गोपा नरवर नगर और उसके समस्त शिखर आदि प्रदेश अर्पण करते हुए और सिर झुका कर चलता बना। हे सुलतान ! सुन, बूंदेलेके राजा मुकुंदके घरमें उस राना सांगाने जो की ( वह क्या साधारण बात थी ? ) ॥ ३ ॥ वीरोंमें अग्रणी रायमलका पुत्र राना सांगा खङ्गके रसमें अनुरक्त होने के कारण पूर्वके देशों में भगदड़ मचनेसे भयके कारण पंडुवा वहाँसे भाग गया था ॥ ४ ॥ 1 भाग्यशाली । 2 जीत कर प्राप्त की । 3 गांवका नाम 14 तक 15 सीमा वनाई । 6 लड़ाई | 7 अपुत्र, निःसंतान । 8 प्रतापी । 9 खूब शानके साथ बहुत समय तक राज्य किया । 10 राज्यधिकारी हुआ । 11 पहाड़ और जंगलमें संकटके मारे छिप कर रहना ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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