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मुंहता नैणसीरी ख्यात करायो । इसो' ऊंचो करायो, जिणरो दीयो अजमेर दीसें । तिणसं गूंदळराव हालतो मांडियो सु इसड़ी सुरंग एक वणाई, जिकाहूं उगारै गांवथी सुहवदेरै माळियै छांनो पावै सु प्रथीराजरी बैर अजैदे दहियांणी अजमेर थकां अटकळी ; किणी भांत उण दीवासू, कोइक मरद आवै छै, सु तिका वात प्रथीराज आगे कही, तरै प्रथीराज चोकीरो . घोड़ो थो तिके चढ़नै उडायो,' ने अजाणजकरो" सुहवदेरै माळियारी दोढ़ी गयो । घोड़ो परो छोड़ने । तरै प्रोळियै दोड़ खवर आगै दीवी। वांसाथी' प्रथीराज उतर आयो, सु गूंदळराव तो सुरंग माहै हुय गयो । प्रथीराज आय ढोलिये सूतो । परभात हुवो, सु गूंदळरावर पगांरो जोड़ो उठ रह्यो सु प्रथीराज दीठो' नै वीजा पण माळियारा समाव अटकळ्यिा' तरै सुहवदेनूं प्रथीराज कह्यो-“ो जूतो किणरो.. छ ? अठे कुण मरद आवै छै ?" तरै सुहवदे वेळा दोय च्यार तो टाळाटोळारी कही; तरै प्रथीराजरी झूठी आंख देखी ;11 तर सूधो कह्यो12-"अठ गूंदळराव खीची आवै छै" तरै प्रथीराज प्रापरै घरै फिर
आयो, नै सवारै चामंडराय दाहिमो खीचियां ऊपर जायल फौज दे विदा कियो13 तरै उठाथी गूंदळराव नीसरियो सु माळवै गयो। उठे डोडिया रजपूत रहता, तिणांरै गढ़ १२ हुता तिकै गंदळराव इणांरा . वेटा पोतरा मारनै लिया । मऊ, मैदानो, गागरूण, वालाभेट, सारंग- - . पुर, गूगोर, बार, वड़ोद, खाताखेड़ी, रामगढ़, चाचरणी ।
जायल राजथांन कियो सु गोरारा पोतरा15 खीचीवाड़े गया । ..
I इतना । 2 जिसका दीपक अजमेर में दिखाई दे। 3 जिससे गूदलरावका अनुचित सबंध हो गया सो एक सुंरग ऐसी बनवाई जिससे वह उसके गांवसे सुहददेके महल में गुप्त रूपसे आवे। 4 अजमेर होते हुए ही अनुमान कर लिया। 5 तव पृथ्वीराजने चौकीके .. घोड़े पर चढ़ कर उसे उडाया। 6 अचानक। 7 पीछेसे । 8 पृथ्वीराज प्राकर पलंग पर. सो गया। 9 गूंदलरावके पाँवोंके जूते वहाँ रह गये सो पृथ्वीराजने देखे । 10 और महलके . दूसरे लक्षणोंसे भी अनुमान लगाया। II जब पृथ्वीराजकी ददली हुई अांख देखी । 12 तब उसने सीधासा उत्तर दे दिया। 13 और दूसरे दिन चामंडराय दाहिमाको फौज : . देकर खीचियोंके ऊपर जायलको रवाना किया। 14 जिनके १२ गढ़ थे। 15 गोराके पोते ।