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________________ 4 २४२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात पिण नांनो | राव सूजोजी परणिया था । चोहुवांण जगमाल जैसिंघ देोतनूं मारने साचोर लियो । जीवियो तठा सूधी साचोर प्रथीराव भोगवी' | १८ वाघो प्रथीरावरो । जिण कोढ़णारो वाघावास वसायो । साचाररो टीको हुवो थो| पछै चहुवांण रांग नींवावत धरती सूनी की, तर वाघो सूनी धरती छोड़ कोढणे प्रायो । १६ सिंघो वाघावत ! २० वणवीर सिंघावत । मोटा राजाजीरो सुसरो । सिंघा वाघावतरो परवार ग्रांक १९ । वणवीर सिंघावतरो परवार ग्रांक २० २१ सूजो वणवीर । २२ रांमो, संभत १६६३ खारड़ी थोभरी पटै थी । भलो रजपूत थोरै । रायसिंघ २२ २३ भोपत । २२ कांन्हो | २३ माधो । जावत 1 २१ नारायण । २१ देदो वरणवीरोत । पटाऊ पटै थी । २१ रायसिंघ वरणवीरोत । I पृथ्वीराज तेजसीका बेटा । सूजाके बेटे सेखाका यह नाना और देईदासका भी नाना | जोधपुरका राव सूजा इसके यहां व्याहा था । इसने चौहान जयसिंहदे के बेटे जगमालको मार कर साचोर लिया और जहां तक जिंदा रहा साचोर इसके अधिकारमें रहा । 2 पृथ्वीरावका वेटा वाघा, जिसने कोढ़णावाटीका वाघावास बसाया । साचोरका तिलक हुआ था। पीछे चौहान रांगे नींवावतने ( साचोरकी ) धरतीको उजाड़ दिया तव बाबा सूनी वरती छोड़ कर कोढ़ चला आया । 3 रामाके संमत १६६३ थोभका खारड़ी गांव पट्टे में था | अच्छा राजपूत था ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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