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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात २३६ ] मांडण रांणावत, प्रांक १६ । २० सांवळ मांडणीत । सं० १६५२ वालो भाद्राजणरो धना भेळो' । पछै सं० १६६६ सुगाळियो सांवळनूं । पछे राखांणो भाद्राजणरो दियो थो, सु संमत १६७१ रावळ खिराळू परगने कांम ग्रायो । २१ कलो । संमत १६७१ राखांणो बरकरार | २१ जसो । २१ जगनाथ । २२ नरसिंघदास । । २० सूजो मांडणीत । सं० १६ सूजा सांवळनूं बालो नै नीलकंठ भाद्राजणरा * । 4 २१ पतो सूजारो । सं० १६८५ सिरांणो जाळोररो । २२ खेतसी । २२ नाथो । २० धनो मांडोत । सं० १६७० मेहळी सिवांणारी पटै । सं० १६८३ इंद्रांणो सिवाणारो' । पछै मुवो' । २१ तेजमाल धनारो । धनारै वदळे चाकरी करतो सु तिमरणी राम कह्यो । .8 २२ सुरतांण । वीरो जैसिंघदेवोत, ग्रांक १७ । १८ वरसिंघ धीरावत । साचोर कांम आयो । १६ वीको वरसिंघरो भाचरांण सींधले मारियो । I मांडरणका बेटा सांवल, सं० १६५२ भाद्राजुनका वाला गांव धन्न के शामिल पट्ट में । 2 वादमें सांवल को सं० १६६६ में सुगालिया गांव पट्टेमें। 3 फिर वह सं० १६७१ में खिरालू परगने में काम आया । 4 मांडका बेटा सूजा, सं० १६ में सूजा और सांवल दोनों भाइ योंको भाद्राजुन के वाला और नीलकंठ पट्टेमें थे 15 मांडरणका बेटा धन्ना, जिसके सं० १६७० में सिवानेका मेहली गांव पट्टे में 6 सं० १६८३ में सिवानेका इन्द्राणो गांव पट्टे में । 7. फिर मर गया । 8 धन्नेका बेटा तेजमल, जो धन्नेके वदले में चाकरी करता था वह तिमरणी गांव में मरा। 9 वरसिंहका बेटा वीका, जिसे सिंघल राजपूतोंने गांव भाचराणेमें मारा । 1
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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