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________________ २३४ ] मुंहता नैणसीरी च्यात २१ सादूळ सांबतसीयोत । संमत १६८४ गांव ६, रुपिया ४७००) नागोरस, ब्रहांनपुर रावळ पटें दिया' । पछे छोड़ मोहवतखारै बसियो । पछै दखिणमें काम आयो। २१ गोपाळदास सांवतसीयोत । दोलतावाद मोहबतखारै काम प्रायो। २१ बलू सांबतसीयोत । महेसदास दलपतोतरो चाकर थो । पछ संमत १६८५ महेनदास मोहबतखारै बसियो, तरै . जुदो मोहवतखारै चाकर दिखण मांहै लोहडे पड़ियो' । पछै . मोहबतखांन मुवों तद महेसदास वलू वेहू" पातस्याही चाकर हुवा । महेसदासयूँ जाळोर हुवो', तरै बलूनूं साचोर दियो थो सं० १६६६ । पछै सं० १७१७ पूरबनूं मुवो। राव वलू सात सदी जात, चारसौ असवार मुनसब' श्रो। चौ० वेणीदास बलुअोतरो मुनसव चार सदी जात सौ असवार हुवो । दूजो परगनो विहान हुवो थो। दिन थोड़ा जोवियो । पछै सकतसिंघ वेणीदासोतनूं मुनसव जात अढ़ाई सदी, तीस असवार मुनसव हुवो । २२ वेणीदास। २२ नरहरदास । सं० १७१४रा जेठमें धोलपुर काम प्रायो। २३ सकतसिंघ । २१ अचलदास सांवतसीयोत । मोहबतखारै दिखणमें काम प्रायो। २२ गोयंददास । २१ भींव सांवतसीयोत । सं० १६७७ जाळोररो चवरा पटै । जूंझारसिंघ दलपतोतरै काम आयो । I सम्वत् १६८४में महाराजा जसवंतसिंहने बुरहानपुरमें २० ४७००) की आयके नागौरके ६ गांव पट्टेमें दिये थे। 2 पीछे छोड़ कर मोहबतखांके जाकर रहा और दक्षिणमें काम पागया। 3 मोहबतखांके जाकर रहा। 4 घायल हुआ। 5 मर गया। 6 दोनों। 7 महेशदासको जालोर मिला। 8 पूर्वमें मरा। 0 राव वलूका मनसव सातती जात और चारसी सवारका था । 10 दूसरा । II थोड़े दिन ही जीवित रहा। 12 सांवतसिंहका बेटा भीम, जिसको जालोर परगनेका चवरा गांव पट्टे। 13 दलपतके वेटा जूझारसिंहके काम पाया।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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