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मुंहता नैणसीरी ख्यात पीढ़ियांरी विगत
१ राव लाखण। २ बलि । ३ सोही। ४ महंदराव । ५ अणहल । ६ जींदराव । ७ पासराव । ८ मांणकराव। ६ पाल्हण । १० विजैसी । साचोर ली। ११ पदमसी। १२ सोभ्रम । १३ साल्हो सोभ्रमरो । निपट वडो रजपूत हुवो। जाळोर गढ़
पातसाह अलावदी घेरियो, तद काम आयो । जाळोररी पैहली प्रोळ चढ़तां साल्हा चौकी कहीजै । आगै आप पुरांणां मांहै सुणियो छो“संग्रामरै विखै पग सांमां भरै तठे अश्वमेधरो फळ लहै ।" सु वात मनमें आरणनै रावळ कांनड़ दे जीवतां घोड़े चढ़नै साथळां मांहै खीला पाती जड़ाय', पातसाही कटक मांहै घोडो उपाड़ नांखियो । कांनडदे उमाहौँ' मोहळ बैठा देखै छै। घणो लड़ियो, घणो विसेख कियो ।
- गढ
_I जालोरके किले पर चढ़ते हुए पहली पौलके पास बनी हुई साल्हा चौकी कही जाती है । जिस जगह पर अलाउद्दीनसे बड़ी वहादुरीसे लड़ता हुअा साल्हा काम आया था। 2 था। 3 संग्राममें अपने पांव आगे बढ़ाता जाय तो अश्वमेधके फलकी प्राप्ति होती है । 4 मनमें ला करके। 5 जंघाओंमें लोहेकी कीलें और पत्तियें जड़वा करके। 6 वादशाही सेनामें अपने घोड़ेको अल दिया। 7 उत्साहसे। 8 महल । 9 अत्यन्त पराक्रम दिखलाया ।..