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________________ ३ मुंहता नैणसीरी ख्यात २३. समरसी रावळ २६. नवखंड : रावळ २४. रतनसी रावळ पदमणी २७. कुरमेर , ... वाळो प० २८. जैतसी , २५. सिरपुंज रावळ .. २९. करन ; ..... अठा - सूधा' पाट २९सु चीतोड़रा धणी रावळ कहांणा' । रावळ करनैरै बेटा दोय माहप नै राहप हुवा । सु वडा बेटा महापर्नु फोज वडी साथै दे नै मेड़ते कोई रांणो हुतो, तिण ऊपर मेलीयो' हुतो । सु रुत' उनाळारी हुती। कवर जाय भाखरां मांहे ठाढी छांह झरणा देख बैस रह्यो । उमराव सारानुं घरांरी विदा करी कह्यो - 'हमार गरम-रुत' छै । मास २ मेह हुवां आंपै मेड़ते ऊपर जास्यां ।' रांगो करन अठै बैठो बाट देखे सु कवररो कदे कागद पत्र आवै नहीं। कवर माहप पाटवी नै रांणी सुहागणरै। पेटरो, तिण वास्तैसू13. कोई14 जाणै, पिण परधान खवास पासवान कोई '. आ वात रावळ करननुं सुणावै नहीं। रावळ जोर' आतुर हुवो कहै - "कंवररी खबर न आई।" तरै किणहीक' कह्यो -"कंवर तो गरम रुतरै वासत मेड़ते ऊपर गयों नहीं। मेह वूठां7 जासी । साथ- ही घरांरी सीख दीवी छ । तिण वासतै राजनुं अरदास20 न आवै छै ।'' सु रावळ वात सुण नै हैरान हुवो। मन मांहे जाणियो - 'ओ कंवर पाट जोग नहीं' । तरै और फोज लोहड़ा - बेटा राहपरै साथे दे विदा कीयो । राहप तिणहीज वेळा22 चढीयो । इळगार23 - कर मेड़ता ऊपर तूट पड़ीयो। मेड़तो मारीयो24 | मेड़तारो धणी रांणो पकड़ीयो नै चीतोड़ ल्यायो । रावळ करन लोहड़ा बेटासूबोहत .राजी हुवो । रांणो पकड़ ल्यायो, तेथी इण→ रांणारो किताब26 .....: 1 यहां तक । 2 कहाये । 3 भेजा था । 4 ऋतु । 5 ग्रीष्मको । 6 पहाड़ । 7 सबको । 8 अभी 1 9 ग्रीष्म ऋतु । 10 अपन । 11 जायेंगे। 12 कृपापात्र रानीके । 13 इस बातको । 14 'तूं कोई' के स्थान 'स कोई' पाठ होना चाहिये । स कोई - सब कोई । 15 अत्यन्त । 16 किसी एकने । 17, 18 वर्षा हो जाने पर जायगा। 19 साथ वालोंको घर चले जानेको आज्ञा दे दी, । 20 सामाचार, निवेदन । 21 छोटा पुत्र । 22 उसी समय । 23 संपूर्ण सेनाके साथ और क्रोधित होकर । 24 मेड़तेको जीत लिया । 25 जिससे । 26 पदवी, खिताव ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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