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मुंहता नैणसीरी ख्यात
आधंतर,
ऊपाड़ियै लूट जण - जण पूगो जुवो - जुवो । खींवर हा कलियो खीमावत, होकर जाड़ विहाड़ हुवो ॥ ३ ॥
गीत चीवा खीमां भारमलोतरो'
सिया दलारो को
खीमो राव कलारो चाकर । सुरतांग कलै वेढ़ हुई, कांम प्रायो " |
गीत'
विडरी ग्रास, विजो थियो वांस, वाजै हाक थई विकराळ | चालां चालरणहार न चूको, खत्रवट खग-वाहो खेमाळ ॥ १ ॥
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एकण खेम ऊपर ग्रायो, सोह - ग्रावगो डूंगरां साथ । मिटै न घणै नरे मंडाणो, भारमलोत सरस भाराथ ॥ २ ॥
1 भारमल के पुत्र खीमा चीवाका गीत । 2 ग्रासिया शाखा के चारण दलाका कहा हुआ । 3 खीमा राव कलाका चाकर । सुरतान और कलाके युद्ध हुना तव खीमा काम श्राया । 4 गीतका भावार्थ
विकराल रूपसे रणवाद्यों का शोर हो रहा है । क्षात्रधर्म पर ग्रारूढ़ खड्ग चलाने वाला खीमा युद्ध में चालें चलने वालों से किसीसे नहीं चूका । पीछे पड़े हुए वीरोंकी विजयकी आशाएं घवराहटमें परिणत हो गई ॥ १ ॥
तव पहाड़ों में से निकल कर समस्त सेना खीमाके ऊपर गई । भारमलके पुत्र वीर खीमाने उस समय जो युद्ध किया वह कई मनुष्यों के हृदयों में अंकित है, मिट नहीं रहा है ॥ २ ॥