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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [१४१ घणो तपियो' । पातसाही फोजांसं घणी वेढ कीवी । सीरोही पाखती निपट वडा मेवास कोळियांरा छै । आज पहली किणही सिरोहीरै धणी कदै झै मेवास अमल कियो न थो। सु मानसिंघ एकण दिन फोज बावीसां ठोड़े ऊपर विदा कीवी' । तिण फोजां बावीस ही ठोड़े गांव भेळ उणांनूं परा काढ़नै उवै ठोड़ा लीवी । रावरा थांणा मेवासे बैठा । मास ६ रह्या । पछै कोळीसारा रावरै पगे आय लागा। राव हुकम कियो सु हुकम माथै चढ़ाय लियो। पछै राव कोळियांनूं खुसी हुय धरती पाछी दी । आपरा थांणा बुलाइ लिया । राव रायसिंघरी बैर-राव उदयसिंघरी मा--चांपाबाई । राव गांगारी बेटी सु निपट दाढ़ीक-अादमी' । सु उदैसिंघरी बैरनूं आधांन" छ । सु चांपा बाई केहवै--"सवारै मांहरै पोतरो हुसी । मानसिंघ कुण पादमी जिको टीको भोगवै छै ?" पछै मानसिंघ चांपाबाईनै उदैसिंघरी बैर गरभवंतीनूं ऊजळ लोहडै मारी। - मानसिंघ, सुरतांणरी वसीरी-वरकसोरै लिया पंचाइण पंवार परधान हुतो तिणनूं विस दियो । तिणरो भतीज कलो पंवार थो सु रावरै खवास हुतो'" । सु राव अाबू चढ़िया था उठै कलानूं क्यूं धकोसो दिरायो । पछै प्राथणरा' राव आरोगता था तरै कले पँवार राव कटारी वाही", नै कुसळे गयो । राव कटारी लागां पछै पोहरेक जीवियों" । तरै रजपूते पूछियो--"रावळो तो ओ सूळ ___ छै । रावळे बेटो न छै । टीकारो किणनै हुकम छै ?" तरै राव I सीरोही पर बहुत समय तक कुशलतासे शासन किया । 2 बादशाही फौजोंसे अनेक लड़ाइयां लड़ी। 3 सिरोहीके पास कोलियोंके बहुत बड़े मेवासे थे (मेवासा = लुटेरोंके रहनेका स्थान)। 4 कभी। 5 इन। 6 बाईस । 7 भेजी। 8 उन फौजोंने वाईस ही स्थानोंके निकटके गांवोंसे उनको निकाल उन गांवों पर अधिकार कर लिया। 9 अपने थानोंको वापिस बुला लिया। 10 स्त्री, पत्नी। II बुद्धिमान और दृढ़ता वाली स्त्री। 12 गर्भ ! 13 कल मेरे पौत्र होगा। 14 फिर मानसिंहने चम्पावाई और उदयसिंहकी गर्भवती पत्नीको तेज धार वाले शस्त्रसे मार डाला। 15 भागाके पुत्र सुरतानकी कर-मुक्त प्रजासे बलात् कर प्राप्त करनेके कारण पंवार पंचायणको मानसिंहने विष देकर मरवा डाला। 16 प्रीतिपात्र सेवक । 17 वहाँ कलाको कुछ धवकासा दिया। 18 संध्याके समय। . 19. कटारी मारी। 20 और कुशलपूर्वक चला गया। 21 एक पहर तक जीवित रहा । 22 आपका तो यह हाल है । .
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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