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मुंहता नैणसीरी ख्यात आया। वाग मांहे आय उतरिया । सांहणी जैमल रजपूतांनूं खबर दी। रजपूत सारा राते हीज मांतसिंघ कनै आया,मिळिया। वांस' रांरण डेरै खबर कराई- मानसिंघ कठै ? तरै चीबै सांवतसी कह्यो"आहेडिए सूअर दोय हेरिया था त, गयो, हमार आवै छै ।" सु यूं करतां प्राथण हुवो । तर रांग वळे मानसिंघनूं याद कियो । तरै कोस १०एक ऊपर मानसिंघ नाठो जातो' मिलियो थो सो उणे कह्यो- "मानसिंघ तो दूपहर दिन चढ़ियो थो तरै म्हानूं सीरोहीनूं नाठो जातो असवार ५ सूं मिळियो हुतो," तरै रांण कह्यो-“कातूं जांणीजै ?" तरै किणहीक कह्यो -"सीरोहीथा आदमी एक म्हारै आयो तिण कह्यो-"राव उदैसिंघनूं सीयळ नीसरी छै नै गाढ़ो' दुखी छ ।” तरै रांण कह्यो-"जांणीजै छै के उदैसिंघ मुवो।" औरै पिण कह्यो --"पा वात मिळती दीसै छै ।" तरै रांग कह्यो-"मानसिंघरै डेरै रजपूत छै तिणानूं तेड प्रांवो।"तरै देवड़ो जगमाल वडेरो रजपूत हुँतो सु रांणांरी हजूर आयो, तरै जगमालनूं रांण कह्यो-"यूं मानसिंघ कांय नाठो, म्हे कानूं करता था ?" तरै जगमाल कह्यो"सु तो बात मानसिंघ जाण ।” तरै रांण जगमालसू कहाव कियो'-- "परगना ४ सीरोहीरा म्हानूं लिख दो।" तरां जगमाल दीठो'--"हं उजर करूं, रांगो वांसै साथ चाडै, वे कठै ही उतरिया होय तो कोई कबाइत होय ।" तरै जगमाल घणा विनासूं" बोलियो-"मानसिंघ दीवांणरो चाकर , म्हांनूं किसो उजर छै । जांणो'' सु धरती दीवांण ले, जांणो सु मानसिंघनूं दे ।" तरै परगना ४ रो कागळ रांण लिखायो । तितरै वात करतां रात घणी गई, कह्यो--"सवारे मतो घताय देसां ।" दीवांरण ही सोय रह्या । मानसिंघरो चाकर
1 पीछे। 2 शिकारियोंने । 3 ऐसा करते-करते सूर्यास्त हो गया। 4 भागता जाता। 5 इससे क्या समझना चाहिये ? 6 तव किसीने कहा। 7 खूब । 8 ज्ञात होता है कि उदयसिंह मर गया। 9 औरोंने भी कहा। 10 बुला लाग्यो। II दरवारमें पाया, सेवामें आया। 12 मानसिंह इस प्रकार क्यों भाग गया, हम उसके विरुद्ध कुछ करतो नहीं रहे थे ? 13 तव रानाने जगमालसे कहा। 14 तव जगमालने विचार किया। IS कोई अनर्थ हो जाय । 16 विनयः । 17 चाहे सो। 18 तव, इतनेमें। 19 प्रातःकाल हस्ताक्षर
करवा देंगे।