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________________ ... मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १३७ संती उठे हुई। राव रायसिंघ राव गांगारी बेटी चांपाबाई परणाई हुती। . २५ राव दूदो अखैराजरो । वडो ठाकुर हुवो। रायसिंघ मरते हुकम कियो “माहरो बेटो लोहड़ो छ । पांच रजपूतां टीको भाई दूदायूँ देजो । बेटो उदैसिंघ छ, तिणनूं दूदो मोटो करसी' ।" तरै दूदो पाट तो बैठो छ, पिण साहबीरो धणी उदैसिंघनूं राखतो नै आपरा बेटा मानसिंघनूं नजीक न आवण देतो। राव दूदै अदो वाघेलां गांवड़ो एक मारियो । तिणरा वडा छंद छै, कळहट पातारा कह्या । - पछै राव दूदो मुवो । मरते कह्यौ-"म्हारा बेटानूं टीको मत दो। टीको रायसिंघरा बेटा उदैसिंघने देजो ।" तरै उदैसिंघ तेड़ने कह्यो"थारी दाय आवे तो म्हारा बेटा मानसिंघनूं लोहियांणौ गांव देजो।" पछै दूदो मुवो । पांचे रजपूते परधांने उदेसिंघनूं पाट थापियो । मानसिंघ लोहियांणो दियो । वरस एक तो रूडो-भलो नीसरियो', नै पछै उदैसिंघ दूसण चीतारियो -"मोनूं मानसिंघ तुको १ वाह्यो थो ।" तरै रजपूते तो वरजियो । इणरै बाप तोसूं निपट भली कीवी छै''। आपरा बेटानूं टीको न दिरायो नै थांनूं भातीजनूं दिरायो। कह्यो-“मानसिंध थारो हुकमी-चाकर" छै ।" पिण उदैसिंघ कहै"लोहियांणाथी परो काढीस"।" पछै फोज मेल परो कोढ़ियो । रांणांरै मेवाड़ गयो । मानसिंघनूं गांव १८ वरकांणो वीझेवासू पटै दियो । पछै मानसिंघ दोय-च्यार सिकार माहे मुजरो कियो', सु रांणो मया करै छै । तितरै वरस १ राव उदैसिंघने सीयळ नीसरीन थी, I मेरा पुत्र छोटा है। 2 उसको दूदा पाल-पोष कर बड़ा करेगा। 3 राज्यका स्वामी। 4 राव दूदाने अदा वाघेलाको मार दिया और उसका गांव लूट लिया। 5 तेरी इच्छा हो तो। 6 पांच प्रधान राजपूतोंने मिल कर उदयसिंधको गद्दी विठाया। 7 एक वर्ष तो ठीक निकल गया । 8 पीछे उदयसिंहको मानसिंहका एक दूषण याद आया। 9 मानसिंहने मुझे एक उलहना दिया था। 10 मना किया। II इसके पिताने तेरा वहत उपकार किया है। 12 अाज्ञाकारी सेवक । 13 निकाल दूंगा। 14 निकाल दिया। 15 राना उदयसिंहके पास मेवाड़ चला गया। 16 रानाने मानसिंहको वरकानेका ठिकाना वीं वाके साथ १८ गांवोंका पट्टा करके दे दिया। 17 मानसिंहने दो-चार शिकारोंमें साथ रह कर अभिवादन किया अर्थात् अपने कौशल और सेवाका परिचय दिया। 18 अतः राना बड़ी कृपा रखता है।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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