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________________ ११६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात १ हरीगढ़। १ जोलपो। १ मोही। १ मोटपुर। १ कूड़ी। १ बंभोरीरो परगनो । गांव ८४ । १ जरगो। १ अटरोह । गांव ८४ । १ धूळोप। . १ जीलवाड़ो । गांव ८४ । धरती रैतरो हैंसोंवाड़ वीघे १ रु. ५) आवळ वीघे १ रु. ५) वण* वीघे १ रु. १।।) ऊनाली पीयल नहीं । सँवज घणा । साळ', गोहू, वाड़, चिणा घणा । रैत देस मांहै बांभण-गूजरगोड । पारीख । मीणा। धाकड़ । किराड़। अहीर। नदी ४ हाडोती माहै--- १ चांवळा । १ सिंध । I प्रजासे भूमिका कररूपमें प्राप्त किया जाने वाला भाग इस प्रकार है। 2 ईख . . प्रति बीघे रु. ५) । 3 आँवल प्रति बीघे रु. ५)। 4 रूई प्रति बीघे रु. १॥)। 5 सिंचाई द्वारा की जाने वाली ग्रीष्मकालीन-कृपि यहां नहीं होती। 6 परिमाणसे अधिक ... . वर्षा होनेके कारण भूमिमें आर्द्रता बनी रहनेसे विना सिंचाईके होने वाली शरत्कालीन . . कृपि । 7. शालि–साठी चावल। 8 देशमें इस भाँति प्रजा वसती है ।' 9 ब्राह्मण। . 10 चम्बल ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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