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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ११५ १ गागुरण, बूंदीथी कोस ३०, मऊसू कोस ४, कोटासू कोस . १० खीची अचलदास वाळी । भाखर ऊपर वडो गढ़ छ । निपट चोड़ौ, जिण माहै मांणस' हजार १०००० रहै । गढ़ वासै नदी सिंध वहती सदा रहै छ। तिणरो पांणी गढ़ माहै वाळियो छ । प्रागै तो गढ़ सूनो-ठमठेर सो थो। हमार हाडै मुकंदसिंघरी जागीरमें मुकंदसिंघगढ़ जोर संवरायो । वडा मोहल कराया। गांगुरण सहर घर ७०० तथा ८०० वसै छै । नदी सिंध - या मऊरा परगना मांहै वहै छै । मूल आ ___ गुंडवांणथी आवै छै । मऊथी निजीक सहर इतराएक कोस छै-- एवारो परगनो गांव १२ । सदा हाडांरो उतन' थो। हमें पातसाहजी और जागीरदारनूं दियो छै । मऊ कोटा वीच छै । ____ गूगोर, खीचियांरो उतन । मऊसू ऊगवण कोस २५, गांव ३६० लागै छै । छोटोसो गढ़ छ । सहरमें घर १००० वसै छ । ___ खातखेड़ी मऊथी कोस २०, भील चक्रसेणीरी ठोड़ । हाडा .. भगवंतसिंघनूं छै । मारली" गांव ७०० । . चाचरणी, खीची वाधरी । खीचियांरो उतन । मऊथी कोस १५ । खाताखेड़ीथी कोस ५ । गांव ८४ । बेहु सिंधलवाली, गोपलदे भगवंतसिंघ जागीरमें । चाचरड़ो, खीची सांवलदासरो । गांव ४२ । खाताखेड़ीसू कोस ७। मऊरै परगनै वडेररा गांव नांवजादीक छै । .. १ देवीखेड़ो। I मनुष्य। 2 पीछे। 3 जिसका पानी गढ़में घेरकर लाया गया है। 4 पहले यह गढ़ सूना और खाली था। 5 अभी मुकुन्दसिंहने अपनी जागीरीमें गढ़को खूब सुधरवाया। 6 पास। 7 जन्मस्थान 8 पूर्व दिशामें। 9 भील चक्रसेनकी जागीरी । 10 जो अभी हाडा भगवंतसिंहके अधिकारमें है। II जिसको भील चक्रसेन पर आक्रमण करके अपने अधिकारमें कर लिया। 12 चाचरणी गांव खीची वाधकी जागीरका । 13 दोनों। 14 पुरखाओंके। 16 ख्याति प्राप्त ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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