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________________ ११० ] मुंहता नैणसीरी स्यात उरजण काम पायो । तठा पछै चीतोड़ उदैसिंघ टीकै बैठो, तरै सूरजमलरा बेटा सुरतांणनूं तेड़ बूंदीरो टीको दियो । सु सुरतांण कुलखणो ठाकुर हुवो । हाडो सहसमल, सातळ वृंदी वडा उमराव हुता । तिणारी सुरतांण रीसाय नै अांख काढ़ी । और ही उपाध करै । तरै वृंदीरा उमराव सारा रांणा उदैसिंघ कनै पाया । कह्यो-"यो धरती लायक नहीं ।" तरै उरजन आगै थोड़ो सो पटो पावतो । चीतोड़ कांम आयो हुतो । नै सुरजण रांणारो चाकर हुतो. गांव १२ पटो पावतो। पछै वार एक जगनेर कांम दीवांणरै पड़ियो थो त, सुरजन घावै पड़ियो हुतो', तरै दीवांण फूलियारो परगनो दियो हुतो । पर्छ फूलियो तागीर कर बधनोर दी हुती । तिण समै सुरतांणरी या ख़बर... वुरी आई तरै रांग उदैसिंघ सुरजननं वृंदी दीवी। टीको काढ़ियो। .. रजपूत सारा आय मिळिया । सुरजन दिन-दिन वश्तो गयो । रांग ... वडो इतबार कर इतरा गढ़ पटै देनै रिणथंभोररी कूची सूंपी। १ वृंदी गांव ३६० । १ पाटण । १ कोटो। १ कटखड़ो। . १ लाखेरो गांव। १ नैणवाय। १ प्रांरतदो। १ खैरावद-गांव ८४ । वृंदीसू कोस ३५। राव उरजण नरवदरो अांक ६- . १० राव सुरजण। १० राम । ___I कुलक्षणों वाला। 2 सुरतानने क्रोव करके जिनकी अांखें निकलवा दीं। 3 और भी कई उपद्रव करता रहता है। 4 पृथ्वी पर राज्य करने योग्य नहीं। 5 वहां सुरजन घावाने जर्जरित होकर गिर गया था।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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