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________________ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] [ ६२ कर्ता लिपिसमय | पनसंख्या विशेप विवरण प्रादि क्रमाङ्क ग्रन्थमाला - १८वीं श. (६७) (२२) महादेव-गोरखसंवाद (२३) दत्त-गोरखसंवादग्रन्थ ५१ छन्द हैं। अन्तमें ग्रन्थका नाम 'ज्ञान दोपवोध' लिखा है। भाषा अशुद्ध है। भाषा वार्तिक । १०५ छन्दोंमें पूर्ण ग्रन्थ । अपूर्ण । . . . | पृथीनाथ जनगोपाल । (२४) ब्रह्मस्तोत्रश्लोक (२५) ब्रह्मजिज्ञासा-योगग्रन्थ (२६) साधपरख्या : । (२७) ध्रुवचरित्र । (२८) प्रह्लादचरित्र .. (२६) भरतचरित्र (३०) चौबीसगुरुलीला (३१) मोहविवेकग्रन्थ ..६८ गुटका.-.. (१) विचारमाला (२) अनुभवउल्लास (३) नेहाजीको चेतावनी अपूर्ण और फटे टूटे पत्र हैं। अनाथदास १८४६ १-१० ११-१५ १५-१८ टित व पञ्चमविश्रामके पन्ने भी गायब हैं, बोचके पन्ने भी गायव है। ८४६ अंगुल । गत्ता फटा हुआ हरे लाल पार्चेका। नेहा कोई मुसलमान फकीर थे। फारसी शब्दों और मुसलमानी मतको बातोंकी बहुतायत इसका प्रमाण है। साधारण रचना। दादूपन्यो भक्तोंकी महिमा। कुण्डलियां अच्छी बनी हैं। । खेमदास . (४) भगतपचीसी २७ फवित्त ... (५) मुल्लापण्डितको संवाद . १५ कुण्डलियां १८-२४ २४-२६
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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