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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
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कर्ता
लिपिसमय | पनसंख्या
विशेप विवरण प्रादि
क्रमाङ्क
ग्रन्थमाला
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१८वीं श.
(६७) (२२) महादेव-गोरखसंवाद
(२३) दत्त-गोरखसंवादग्रन्थ
५१ छन्द हैं। अन्तमें ग्रन्थका नाम 'ज्ञान दोपवोध' लिखा है। भाषा अशुद्ध है। भाषा वार्तिक । १०५ छन्दोंमें पूर्ण ग्रन्थ । अपूर्ण । . .
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| पृथीनाथ जनगोपाल
। (२४) ब्रह्मस्तोत्रश्लोक
(२५) ब्रह्मजिज्ञासा-योगग्रन्थ (२६) साधपरख्या : । (२७) ध्रुवचरित्र । (२८) प्रह्लादचरित्र ..
(२६) भरतचरित्र (३०) चौबीसगुरुलीला
(३१) मोहविवेकग्रन्थ ..६८ गुटका.-..
(१) विचारमाला (२) अनुभवउल्लास (३) नेहाजीको चेतावनी
अपूर्ण और फटे टूटे पत्र हैं।
अनाथदास
१८४६
१-१० ११-१५ १५-१८
टित व पञ्चमविश्रामके पन्ने भी गायब हैं, बोचके पन्ने भी गायव है। ८४६ अंगुल । गत्ता फटा हुआ हरे लाल पार्चेका। नेहा कोई मुसलमान फकीर थे। फारसी शब्दों और मुसलमानी मतको बातोंकी बहुतायत इसका प्रमाण है। साधारण रचना। दादूपन्यो भक्तोंकी महिमा। कुण्डलियां अच्छी बनी हैं।
। खेमदास .
(४) भगतपचीसी २७ फवित्त ... (५) मुल्लापण्डितको संवाद
. १५ कुण्डलियां
१८-२४ २४-२६