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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(६८)
(६) दादूजीकी साखी (२४७१ साखी, दादूदयाल
अङ्ग १३२)
(७) दादूवाणी पद
(८) ज्ञानसमुद्र
(६) बालकरामजीका कवित्त
छप्पय ५२
(१०) रज्जबजीका कवित्त एवं वाणी
(११) भीखजनकी बावनी ५४ छप्पय (१२) गुरुदयाषट्पदी - श्रष्टक छन्द ६ (१३) भरमविधं सण श्रष्टक छंद (१४) गुरुकृपा अष्टक - छंद (१५) गुरुउपदेश - ज्ञानाष्टक (१६) गुरुदेवमहिमा स्तोत्र (१७) रामजी - श्रष्टक
(१८) नामाष्टक.. (१६) आत्मा - अचल अष्टक ( २० ) पञ्जाबी - अष्टक -
(२१) ब्रह्मस्तोत्र श्रष्टक
(२२) पीरमुरीद - अष्टक
(२३) प्रजनख्याल - श्रष्टक
दादू
सुन्दरदास
बालकराम
रज्जब
भीखजन
सुन्दरदास
"1
"
58.
लिपिसमय
१८४६
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79
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"1
"}
""
31
71
23
19
33
19
13
विशेष विवरण प्रादि
अंगबंद्ध है; कुछ पंडिताईका अडंगा वृथा
किया है ।
२००-३६६
रागों व पदोंकी सर्वसंख्या नहीं दी है ।
| ३६९ - ४०६ | तृतीय उल्लास में पद्य ५६ से ८८ तक प्राप्त
हैं; पत्र फटे हुए हैं। (सं.)
'पत्रसख्या
१-२००
४०६-४१८
४१८-४३७
[" ६३
४३७-४४६
१४४६-४५०
४५०-४५१
४५१-४५४
४५४-४५६
४५६-४५७
४५७-४५८
४५८-४५६
४५६-४६१
४६१-४६२
४६२-४६३
| ४६३-४६४ |४६४–४६६
इसके भी पत्र फटे हुए हैं । ८४ छन्दके श्रागे
६१वां छन्द है । (सं० )
र.का. - १६८३ ।
यह स्तोत्र भुजङ्गप्रयात छन्दों में है । (सं.)