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________________ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण- ग्रन्थ-संग्रह-सूची | क्रमाङ्क ग्रन्थनाम कर्त्ता ४६ ( १ ) लखपत - जससिन्धुपिङ्गल ४८ (२) श्रनेकार्थनाममाला मञ्जरी ४७ प्रतापसिंह - सिंगारहजारा १०११ छन्द नेहतरङ्ग छन्द. ५३६ ४६ | प्रतापवीरहजारा ५० मदनविनोद कुंवरेशकवि नन्ददास अनेक कवि रावराजा बुधसिंह अनेक कवि कवि जान लिपिसमय १६७२ १८६६ १६८३ १८०२ पत्रसंख्या | १६३ ८२ विशेष विवरण आदि | १६४-१९७ : कहीं-कहीं इसके स्थल अशुद्ध हैं । १२८ २०वीं. श. २७ १६०० [ ५६ र. का. - १८०७ । कहीं-कहीं पर त्रुटित है । ग्रन्थ कविराज कुलपतिमिश्र के वंशज श्यामलालजीकी सं. १८१६ की पुस्तकसे प्रतिलिपीकृत है । लि.क.- गोपीचन्द्रशर्मा । चैला गौरीशंकरजीको पुस्तक से नकल कराई । र.का. - सं. १७८४ । यह पुस्तक कविराजा मुरारीदानजी प्रयाचककी पुस्तकसे नकल कराई । यह पुस्तक पूर्ण नहीं मिली । (सं.) ३२ कवित्तको पुस्तक है । परन्तु इसमें पूर्व ११ कवित्त नहीं हैं । प्रति जीर्ण-शीर्ण एवं त्रुटित है । फतहपुर के नवाब कवि जान कृत नायिकाभेद और कोकका छन्दोबद्ध ग्रन्थ है । ( ढूंडलोदका पुस्तकालय 1 ) नोट - इसमें पांच सहेलियोंकी चारता और गुरुनामो, विष्णुपंजर, प्रजवनामो, गुणउत्पत्तिनामो आदि कृतियोंके भी स्फुट पत्र हैं । कुछ यन्त्र आदि भी लिखे हुए हैं । (सं.)
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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