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________________ - राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]:..... लिपिसमय | पत्रसंख्या - कर्ता विशेष विवरण प्रादि . क्रमाङ्क ग्रन्थनाम ४२ | शिखरवंशोत्पत्तिपीढ़ी वात्तिक | गोपालदान कविया ४३ तुरसी-सखीपदावली (रामपदावली) | तुरसी १६५६२६ . र.का.-सं. १९२६ । लि.क.-कन्हैयालाल जोशी, सनातनधर्म विद्यालय, झूझनू। । २०वी.श. ३-३८. इस गुटके में उत्सवों और अवसरोंके भक्तिपूर्ण पद हैं । बनड़े, गालियां, लीलावर्णन प्रादि हैं। १८१७ ७३-१३६ कृष्णकी लीलाओंके ध्यानका वर्णन है। नोट-इस गुटकेमें श्रीपुरोहितजीको सूचीके अनुसार कृतियों नहीं मिलतीं। देख कर अङ्कित की गई हैं। (सं.) . १४७-१५२ . . ४४ (१) ध्यानलीला प्रादि नन्ददास शंकराचार्य माधोदास (२) सुदामाचरित्र (३) यमुनाद्वादशकस्तोत्र (४) जन्मकर्मलीला (५) जानरायलीला (६) सीतारामन्याहलो (अपूर्ण) (७) जुगलसतके स्फुट पत्र (८) स्फुट कवित्त-राग प्रादि ४५ युक्तितरङ्गिणी ४६-५८ ५८-६४ १७१-१८६ अपूर्ण । ४३-४६ १९०७३६ कुलगतिमिश्र अन्तम "इतिश्रामित्र अन्तमें "इतिश्रीमिश्रकुलपत्तिमिश्र विरञ्चि. तायां युगतितरङ्गिणी समाप्तम्। लिखतं चत्रभुज प्रौलाद कुलपतिजीकी मिति प्रासाढ़ वद ८ दीतवार सम्मत १६०७ सा. संवत् १६०६।। ७०० दोहे। यह सतराई सम्भवतः बिहारीकी स्पर्धासे रचित हो परन्तु वे गुण तो नहीं हैं, तथापि बड़े उस्तादकी कलम है सो अनेक गुणसम्पन्न है।
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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