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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि-भाग-१ ]
[११७ इति श्राघडोईरा रतनू वीरभाण कृत एकाक्षरी नाममाला मपूर्णा ॥ स० १८५६ ना वर्षे श्रावण विद ३ रयौ (वौ)लिषिता श्रीगोडीजी प्रशादात् ॥ २५३ ३२८९
प्रोखाहरण प्रादि- ॥ श्रीगणेगाय नम ॥ अथ अोखाहरण लिप्यते ।। राग रामग्री ॥
श्रीशभूमूतने आदे आराधू जी । मन क्रम बचने सेवा मागु जी ॥ १
चतुरदश लोक जेहेने माने जी । तेहना गुणमू लषीये पाने जी ॥ २ ढाल || पाने लष्या जाये नही श्रीगणेशना गुणग्राम ।
सकल कारज सीध यामे मुप लेता नाम ॥ ३ अन्त- पछे प्रोपाने वीदाय पापी वरत्यो जयजयकार ।
श्रीकृष्ण पधारया द्वारिका परणावीने कुमार ॥ १६ श्रेोषा (ह)रगा जे माभले नेहेना ताप बण्ये जाय । भट प्रमानद केहे कथा समरो श्रीयदुराय ।। १७
कटवा ।।२६।।२।। प्रोपाहर्ण मपूर्ण ॥ समाप्न । २५५ २३०६ (३)
कृष्णध्यान आदि- अथ कृष्णध्यान लिष्यते कवि ईसरदासजीरो कयो ।
निरपे आदि रूपनिधान । कोट अनगकी छिव कान । माथै मुकट पषवा मोर । घेरत मदन मुरली घोर ।। भाल विमाल लोल क्पोल । राषे भानु-कोटकी पोल ।।
भृकुटी भ्रह वक कबान । भनकत कुटला जुग भान ॥ अन्त- अोपत चरण अबुज लाल । तिन विच ऊर्द्व रेप विमाल ॥
जव तिल गदा चक्र पदम । तिनमै कटति कोट करम ॥ निज पद लाग रज कर जान । तिनकु ब्रह्म मिव ललचात ॥ पलत बाल जूप(थ)मझार । गोक्ल गाव नदकुमार ॥ तिनके दग्स लष वेर । ईसर वार डारयो फेर ॥ १५
___इति श्रीकवि ईसरदासजीकृत कृष्ण व्यान मपूर्ण । २७५ ५२११
कछवाहोको वशावली आदि- ॥ श्रीगणेशाय नम ॥ अथ कुछावाकी वशावली लिष्यते ॥
श्रीआदिनारायणन कवलमै ब्रह्माजी ।।१।। मारीच ॥२॥ कस्यप ॥३॥ सूर्य ॥ ४ ॥ बवम्वात ॥१॥ मनु ॥६॥ इप्काक ||७॥ विकुपि ।।८। पुरजय ॥६॥
अन्त- महाराजाधिराज जन्मनाव मोहोनसिंघ नरवलका राजाको वेटो मो राज पायो । जदि मानसिंघजी नाव पड्यो। मीती पोस बदि हम० १८७५ का । राज कीयो महीना ४ दिन ६ ।। माहाराजाधिराज श्रीसवाई जयमिघजी सवत १८७० कै साल श्रीजमवायजा पधारया जाति देवा । सब माज्या साय पधारी मीती असाढ मुदि ८ सवत १८८४ कै साल ।