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सुत्तागमे.
[ववहारो करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को, तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ॥ ५७ ॥ अणवठ्ठप्पं भिक्खुं अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवठ्ठावेत्तए ॥ ५८ ॥ अणवठ्ठप्पं भिक्खुं गिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए ॥ ५९ ॥ पारंचियं भिक्खु अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए ॥ ६० ॥ पारंचियं भिक्खुं गिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए ॥ ६१॥ अणवठ्ठप्पं भिक्खं अगिहिभूयं वा गिहिभूयं वा कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए, जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया ॥ ६२ ॥ पारंचियं भिक्खुं अगिहिभूयं वा गिहिभूयं वा कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए, जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया ॥ ६३ ॥ दो साहम्मिया एगओ विहरंति, एगे तत्थ अण्णयरं अकिञ्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा-अहं णं भंते ! अमुगेणं साहुणा सद्धिं इमम्मि कारणम्मि पडिसेवी, से य पुच्छियव्वे, किं पडिसेवी ? से य वएजा-पडिसेवी, परिहारपत्ते, से य वएजा-नो पडिसेवी, नो परिहारपत्ते, जं से पमाणं वयइ से पमाणाओ घेयव्वे, से किमाहु भंते (!)? सच्चपइन्ना ववहारा॥६४॥ भिक्खू य गणाओ अवकम्म ओहाणुप्पे(हिए)ही वजे(गच्छे)जा, से य (आहच्च) अणोहाइए इच्छेजा दोचं पि तमेव गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, तत्थ णं थेराणं इमेयारूवे विवाए समुप्पजित्था-इमं भो! जाणह किं पडिसेवी ? से य पुच्छियव्वे, किं पडिसेवी? से य वएज्जा-पडिसेवी, परिहारपत्ते, से य वएजा-नो पडिसेवी, नो परिहारपत्ते, जं से पमाणं वयइ से पमाणाओ घेयव्वे, से किमाहु भंते ? सच्चपइन्ना ववहारा ॥ ६५ ॥ एगपक्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ आयरियउवज्झायाणं इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा, जहा वा तस्स गणस्स पत्तियं सिया ॥ ६६ ॥ बहवे परिहारिया बहवे अपरिहारिया इच्छेजा एगयओ एगमासं वा दुमासं वा तिमासं वा चउमासं वा पंचमासं वा छम्मासं वा वत्थए, ते अण्णमण्णं संभुंजंति अण्णमण्णं नो संभुंजंति (एग) मासं(..'मासंते), तओ पच्छा सव्वे वि एगयओ संभुंजंति ॥ ६७ ॥ परिहारकप्पट्ठियस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अणुप्पदाउं वा, थेरा य गं वएज्जा-इमं ता अज्जो ! तुमं एएसिं देहि वा अणुप्पएहि वा, एवं से कप्पइ दाउं वा अणुप्पदाउं वा, कप्पइ से लेवं अणुजाणावेत्तए, अणुजाणह तं लेवाए ? एवं से कप्पइ लेवं अणुजाणावेत्तए ॥ ६८ ॥ परिहारकप्पट्ठिए भिक्खू सएणं पडिग्गहेणं बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा, थेरा य णं वएज्जा-पडिग्गाहे (हि) अजो ! अहं पि भोक्खामि वा पाहामि वा, एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए, तत्थ नो कप्पइ