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सुत्तागमे
[वण्हिदसाओ वासे परघरपवेसे पिण्डवाओ लद्धावलद्धे उच्चावया य गामकण्टगा अहियासिज्जन्ति तमढें आराहेइ २ त्ता चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ जाव सव्वदुक्खाणं अन्तं काहिइ । निक्खेवओ ॥ १८१॥ पढमं अज्झयणं समत्तं ॥५॥१॥
एवं सेसावि एकारस अज्झयणा नेयव्वा संगहणीअणुसारेण अहीणमइरित्तं एक्कारससुवि तिबेमि ॥ १८२ ॥५। १२॥ वण्हिदसाओ समत्ताओ ॥ पञ्चमो वग्गो समत्तो ॥ ५॥ निरयावलियाइसुयक्खन्धो समत्तो ॥ समत्ताणि उवङ्गाणि ॥
निरियावलियाइउवङ्गाणं एगो सुयक्खन्धो, पञ्च वग्गा, पञ्चसु दिवसेसु उद्दिस्सन्ति, तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्देसगा, पञ्चमवग्गे बारस उद्देसगा ॥
॥ निरयावलियाइसुत्ताइं समत्ताई ॥
तेसिं समत्तीए
बारस उवंगाइं समत्ताई
॥ सव्वसिलोगसंखा २५००० ॥