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सुत्तागमे
[उत्तरज्झयणसुत्तं
अह आउयं पालइत्ता अंतोमुहुत्तद्धावसेसाए जोगनिरोहं करेमाणे सुहमकिरियं अप्पडिवाई सुक्कज्झाणं झायमाणे तप्पडमयाए मणजोगं निरंभइ, वइजोगं निरंभइ, कायजोगं निरंभइ, आणपाणनिरोहं करेइ । ईसि-पंचरहस्सक्खरुच्चारणद्धाए य णं अणगारे समुच्छिन्नकिरियं अनियट्टिसुक्कज्झाणं झियायमाणे वेयणिजं आउयं नामं गोत्तं च एए चत्तारि कम्मंसे जुगवं खवेइ ॥७२॥ तओ ओरालियतेयकम्माइं सव्वाहिं विप्पजहणाहिं विप्पजहित्ता उजुसेढिपत्ते अफुसमाणगई उर्दू एगसमएणं अविग्गहेणं तत्थ गंता सागारोवउत्ते सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वायइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ ॥ ७३ ॥ एस खलु सम्मत्तपरकमस्स अज्झयणस्स अट्ठे समणेणं भगवया महावीरेणं आघविए पन्नविए परूविए दंसिए निदंसिए उवदंसिए ॥ त्ति-बेमि ॥ इति सम्मत्तपरकमणामं एगूणतीसइमं अज्झयणं समत्तं ॥२९॥
अह तवमग्गणामं तीसइमं अज्झयणं
जहा उ पावगं कम्मं, रागदोससमज्जियं । खवेइ तवसा भिक्खू, तमेगग्गमणो सुण ॥ १ ॥ पाणिवहमुसावाया, अदत्तमेहुणपरिग्गहा विरओ। राईभोयणविरओ, जीवो भवइ अणासवो ॥२॥ पंचसमिओ तिगुत्तो, अकसाओ जिइंदिओ । अगारवो य निस्सल्लो, जीवो होइ अणासवो ॥ ३ ॥ एएसिं तु विवच्चासे, रागदोससमज्जियं । खवेइ उ जहा भिक्खू , तमेगग्गमणो सुण ॥ ४ ॥ जहा महातलायस्स, संनिरुद्ध जलागमे । उस्सिंचणाए तवणाए, कमेणं सोसणा भवे ॥ ५॥ एवं तु संजयस्सावि, पावकम्मनिरासवे । भवकोडीसंचियं कम्मं, तवसा निजरिजइ ॥ ६ ॥ सो तवो दुविहो वुत्तो, बाहिरब्भतरो तहा । बाहिरो छव्विहो वुत्तो, एवमभंतरो तवो ॥ ७ ॥ अणसर्णमूणोयरियाँ, भिक्खायरियाँ य रसपरिचाओ । कायकिलेसो संलीणयाँ, य बज्झो तवो होइ ॥ ८ ॥ (१) इत्तरिय मरणकालो य, अणसणा दुविहा भवे । इत्तरिय सावकंखा, निरवकंखा उ बिइज्जिया ॥ ९॥ जो सो इत्तरियतवो, सो समासेण छविहो । सेढितवो पयरतेवो, घेणो य तह होइ वग्गो य ॥ १० ॥ तत्तो य वग्गवग्गो, पंचमो छट्ठओ पइण्णतँवो । मणइच्छियचित्तत्थो, नायव्वो होइ इत्तरिओ ॥ ११ ॥ जा सा अणसणा मरणे, दुविहा सा वियाहिया। सवियारमवियारो, कायचिट्ठ पई भवे ॥ १२ ॥ अहवा सपरिकम्मो, अपरिकम्मो य आहिया । नीहारिमनीहोरी, आहारच्छेओ दोसु वि ॥ १३ ॥ (२) ओमोयरणं पंचहा, समासेण वियाहियं । दवेओ खेत्तैकालेणं, आँवणं पजेवेहि य ॥ १४ ॥