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सुत्तागमे
[ दसवेयालियसुतं
विणय समाहिट्ठाणापन्नत्ता, कयरे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विणयसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता ? इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विणयसमाहिद्वाणा पन्नत्ता, तंजहाविणयसमाही १, सुयसमाही २, तवसमाही ३, आयारसमाही ४ । विणए सुए य तवे, आयारे निच्च पंडिया । अभिरामयंति अप्पाणं, जे भवंति जिइंदिया ॥ १ ॥ चउव्विहा खलु विणयसमाही भवइ, तंजहा - अणुसासिज्जंतो सुस्सूसइ १, सम्म संपडिवज्जइ २, वेयमाराहयइ ३, न य भवइ अत्तसंपग्गहिए ४ चउत्थं पयं भवइ । भवइ य इत्थ सिलोगो-पेहेइ हियाणुसासणं, सुस्सूसइ तं च पुणो अहिट्ठिए । न य माणमएण मज्जइ, विणयसमाही आययट्ठिए || २ || चउव्विहा खलु सुयसमाही भव, तंजा - सुयं मे भविस्सइ त्ति अज्झाइयव्वं भवइ १, एगग्गचित्तो भविस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं भवइ २, अप्पाणं ठावइस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं भवइ ३, ठिओ परं ठावइस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं भवइ ४ चउत्थं पयं भवइ । भवइ य इत्थ सिलोगो - नाणमेगग्गचित्तो य, ठिओ य ठावइ परं । सुयाणि य अहिज्जित्ता, रओ सुयसमा - हिए ॥ ३ ॥ चउव्विहा खलु तवसमाही भवइ, तंजहा - नो इहलोगट्टयाए तवमहि - द्विजा १, नो पर लोगट्टयाए तवमहिट्ठिज्जा २, नो कित्तिवन्नसहसिलोगट्टयाए तव - महिट्ठिज्जा ३, नन्नत्थ निज्जरट्टयाए तवमहिट्ठिज्जा ४ चउत्थं पर्यं भवइ । भवइ य इत्थ सिलोगो - विविहगुणतवोरए निचं भवइ निरासए निज्जरट्ठिए । तबसा धुणइ पुराणपावगं, जुत्तो सया तवसमाहिए ॥ ४ ॥ चउव्विहा खलु आयारसमाही भवइ, तं जहा - नो इहलोगgयाए आयारमहिद्विजा १, नो परलोगट्टयाए आयारम हिद्विजा २, नो कित्तिवन्नसद्दसि लोगट्टयाए आयारमहिट्ठिज्जा ३, नन्नत्थ आरहंतेहिं ऊहिं आयारमहिट्ठिजा ४ चउत्थं पयं भवइ । भवइ य इत्थ सिलोगो - जिणवयणरए अतिंतिणे, पडिपुण्णाययमाययट्ठिए । आयारसमाहिसंवुडे, भवइ य दंते भावसंघए ॥ ५ ॥ अभिगम चउरो समाहिओ, सुविसुद्ध सुसमाहियप्पओ । विउलहियं सुहावहं पुणो, कुव्वइ सो पयखेममप्पणो ॥ ६ ॥ जाइमरणाओ मुच्चइ, इत्थत्थं च चएइ सव्वसो। सिद्धे वा हवइ सासए, देवे वा अप्परए महिडिए ॥ ७ ॥ ति- बेमि ॥ इति विणयसमा हिणामणवमज्झयणे चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥ ९-४ ॥ णवममज्झयणं समत्तं ॥ ९ ॥
अह सभिक्खू णामं दसममज्झयणं
निक्खम्ममाणाइ य बुद्धवयणे, णिचं चित्तसमाहिओ हविज्जा । इत्थीण वसं न
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