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द० ६ एक्कारसुवासगपडिमा]
सुत्तागमे
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॥ १०३ ॥ ओहिदंसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेज्जा ओहिणा लोयं पासित्तए ॥ १०४ ॥ मणपज्जवणाणे वा से असमुप्पण्णपुत्वे समुप्पज्जेजा अंतो मणुस्सक्खित्तेसु अड्डाइजेसु दीवसमुद्देसु सण्णीणं पांचंदियाणं पजत्तगाणं मणोगए भावे जाणित्तए ॥ १०५॥ केवलणाणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पजेजा केव(लं)लकप्पं लो(ग)यालोयं जाणित्तए ॥ १०६॥ केवलदसणे वा से असमुप्पण्णपुव्वे समुप्पज्जेजा केवलकप्पं लोयालोयं पासित्तए ॥ १०७॥ केव(लि)लमर(णं)णे वा से असमुप्पण्णपुग्वे समुप्पजे(मरि)जा सव्वदुक्खपही हा]णाए ॥ १०८॥ ओयं चित्तं समादाय, झाणं समुप्पजइ। धम्मे ठिओ अविमणो, निव्वाणमभिगच्छइ ॥१०९॥ण इमं चित्तं समादाय, भुजो लोयंसि जायइ । अप्पणो उत्तमं ठाणं, सण्णिणाणेण जाणइ॥ ११० ॥ अहातचं तु सुमिणं, खिप्पं पासेइ संवुडे । सव्वं वा ओहं तरइ, दुक्खदोय विमुच्चइ ॥ १११॥ पंताई भयमाणस्स, विवित्तं सयणासणं । अप्पाहारस्स दंतस्स, देवा दंसेति ताइणो ॥ ११२ ॥ सव्वकामविरत्तस्स, खमणो भयभेरवं । तओ से ओही भवइ, संजयस्स तवस्सिणो ॥ ११३ ॥ तवसा अवहट्टलेस्सस्स, दंसणं परिसुज्झइ । उर्दू अहे तिरियं च, सव्वं समणुपस्सइ ॥ ११४ ॥ सुसमाहियलेस्सस्स, अवितक्कस्स भिक्खुणो। सव्वओ विप्पमुक्कस्स, आया जाणाइ पजवे ॥ ११५ ॥ जया से णाणावरणं, सव्वं होइ खयं गयं । तओ लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली ॥ ११६ ॥ जया से दरिसणावरणं, सव्वं होइ खयं गयं । तओ लोगमलोगं च, जिणो पासइ केवली ॥ ११७ ॥ पडिमाए विसुद्धाए, मोहणिज्जं खयं ग[य]ए। असेसं लोगमलोगं च, पासेइ सुसमाहिए ॥ ११८ ॥ जहा मत्थय-सूईए, हंताए हम्मइ तले। एवं कम्माणि हम्मंति, मोहणिजे खयं गए ॥ ११९ ॥ सेणावइंमि निहए, जहा सेणा पणस्सह । एवं कम्माणि णस्संति, मोहणिजे खयं गए ॥ १२० ॥ धूमहीणो जहा अग्गी, खीयइ से निरिंधणे। एवं कम्माणि खीयंति, मोहणिज्जे खयं गए ॥ १२१ ॥ सुक्काले जहा रुक्खे, सिंचमाणे ण रोहइ। एवं कम्मा ण रोहंति, मोहणिज्जे खयं गए ॥ १२२ ॥ जहा दड्डाणं बीयाणं, न जायंति पुर्णकुरा । कम्मबीएसु दड्डेसु, न जायंति भवंकुरा ॥ १२३ ॥ चिच्चा ओरालियं बोंदि, नामगो(तं)यं च केवली। आउयं वेयणिज्जं च, छित्ता भवइ नीरए ॥१२४ ॥ एवं अभिसमागम्म, चित्तमादाय आउसो । सेणिसुद्धिमुवागम्म, आया सुद्धि(सोहि)मुवागइ ॥ १२५ ॥ त्ति-बेमि ॥ पंचमा दसा समत्ता ॥५॥
छट्ठा दसा सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया महावीरेणं एवमक्खायं, इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं