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राज्यारोहण
की यह सभा आर्य वर्षकार की नियुक्ति को स्वीकार करे तो मुझे उनको कार्यमुक्त करके आर्य वर्षकार को महामात्य पद देने मे कोई आपत्ति नही है ।" इस पर कल्पक बोले
"मेरी इच्छा है कि मै शीघ्र ही सन्यास लेकर वन को चला जाऊँ, किन्तु जब तक मैं सन्यास नही लू गा तब तक सम्राट् के निमन्त्रण पर अथवा वर्षकार क सम्मति पूछने पर मै साम्राज्य सेवा के लिये सदा उपस्थित रहने का वचन देता हूँ ।"
यह कहकर उन्होने महामात्य पद की तलवार सम्राट् के चरणो में रख दी ।
"सम्राट् । अब मै यहा उपस्थित पौरजानपदो तथा सभी सभासदो से यह प्रश्न करता हॅू कि क्या वह आर्य वर्षकार की महामात्य पद पर नियुक्ति को स्वीकार करते है ।"
इस पर बहुत सी आवाजे एक साथ आई -- 'हम को स्वीकार है । हम को स्वीकार है ।'
तब सम्राट् फिर बोले - "यदि किसी व्यक्ति को इस नियुक्ति पर आपत्ति हो तो वह अपना हाथ ऊँचा कर दे ।"
इस पर किसी ने भी अपना हाथ ऊँचा नही किया । सम्राट् फिर बोले"पौरजानपद सर्व सम्मति से आर्य वर्षकार की महामात्य पद पर नियुक्ति को स्वीकार करते है । आर्य वर्षकार ! मै आपको इस विशाल मगध साम्राज्य का महामात्य नियुक्त करता हूँ । आप महामात्य पद की इस तलवार को ग्रहण करे ।"
यह कहकर सम्राट् ने रत्नजटित कोषवाली तलवार अपने हाथ से वर्षकार क हाथ में दे दी । वर्षकार ने उस तलवार को हाथ में लेकर कहा
"मै आर्य कल्पक का पुत्र वर्षकार सूर्य, अग्नि तथा इस शस्त्र की शपथ लेकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार, उनके उत्तराधिकारियों तथा मगध साम्राज्य की मै सदा ही महामात्य के रूप मे सब
प्रकार से भक्ति
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