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________________ * समय ॥११९॥ सार. अ० ११ *** ****** W अर्थ-कोईयेक क्षणीकवादी कहे-एक देहमें एक जीव उपजे है, अर एक जीव विनसे है। जब देहमें नवीन जीवकी उत्पत्ति होय, तब पहला जीव किनसे है। तिनकू स्याहादी कहे-जैसे जल 5 एकरूप है, पण सोही जल पवनके संयोगते नानाप्रकार तरंगरूप भिन्न भिन्न दीखे है । तैसे एक आत्मद्रव्य है सो गुण अर पर्यायसे, अनेक रूप होय है पण निश्चयसे एक रूपही दीसे है ॥ २६ ॥ ॥ अब ज्ञायकशक्ति विना ज्ञान है इस चौदहवे नयका स्वरूप कहे है ॥ सवैया ३१ सा॥कोउ बालबुद्धि कहे ज्ञायक शकति जोलों, तोलों ज्ञान अशुद्ध जगत मध्ये जानिये ॥ ज्ञायक शकति कालपाय मिटिजाय जब, तब अविरोध बोध विमल वखानिये ॥ परम प्रवीण कहे ऐसी तो न बने बात, जैसे विन परकाश सूरज न मानिये ॥ तैसे विन ज्ञायक शकति न कहावे ज्ञान, यह तो न पक्ष परतक्ष परमानिये ॥ २७॥ 8 अर्थ-कोई अज्ञान बुद्धिवाला कहे-जबतक ज्ञानमें ज्ञायक (जाणपणा ) की शक्ती है, तबतक 8 द ते ज्ञान जगतमें अशुद्ध कहवाय है कारण की ज्ञानमें ज्ञायकपणा है सो ज्ञानकुं दोष है । अर जब 8 - कालपाय ज्ञायकशक्ति मिटि जाय, तब अविरोध ज्ञान निर्मल कहिये । तिनकू स्याद्वादी प्रवीण कहे तुम ज्ञायकपणाकू अशुद्ध मानोहो ये बात बनेही नही, जैसे प्रकाश विना सूर्य माने न जाय। तैसे , ज्ञायकशक्ति विना ज्ञान न कहावे, यह तो पक्षसे कहे नही है प्रत्यक्ष प्रमाण है ॥ २७ ॥ ॥ अव जिसने चौदह एकांत नयकू हटाव्यो तिस स्याद्वादकी प्रशंसा करे है ॥ दोहा ॥६ इहि विधि आतम ज्ञान हित, स्यादवाद परमाण।जाके वचन विचारसों, मूरख होयसुजान॥२०॥ स्यादवाद आतम दशा, ता कारण बलवान । शिव साधकबाधारहित, अखै अखंडित आन ॥२९॥ ६ TAGRAMCHAIRMALARAKREIGANGRESCRIKAAROGREGA GEOCEDUREX ॥११९॥
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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