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________________ समय ॥ ९॥ अर्थ -- मुनी, महंत, तापस, तपी, भिक्षुक, चारित्र धाम, यती, तपोधन, संयमी, व्रती, साधु, ऋषि, ॥ ४६ ॥ ॥ दर्शनके नाम ॥ दोहा ॥— दरस विलोकन देखनों, अवलोकन द्रिगचाल । लखन द्रिष्टि निरखन जुवन, चितवन चाहन भाल। अर्थ-दर्शन, विलोकन, देखना, अवलोकन, हगचाल, लखन, दृष्टि, निरीक्षण, जोवना, चितवन, चाहन, भाल, ॥ ४७ ॥ ज्ञान अर चारित्रके नाम ॥ दोहा ॥ ज्ञान बोध अवगम मनन, जगतभान जगजान। संयम चारित आचरन, चरन वृत्ति विवान ४८ अर्थ-ज्ञान, बोध, अवगम, मनन, जगत्भानु, जगत्ज्ञान: ये ज्ञानके नाम है. संयमः चारित्र, आचरण, चरण, वृत्त, थिरवान्: ये चारित्रके नाम है ||१८|| सांचके नाम ॥ दोहा ॥| सम्यक सत्य अमोघ सत, निसंदेह निरधार । ठीक यथातथ उचित तथ, मिथ्या आदि अकार ४९ अर्थ – सम्यक्, सत्य, अमोघ, सत्, निसंदेह, निरधारः ठीक. यथातथ्य, उचितः तथ्य. इनि शब्दनीके आदिमें अकार और लगाय देतो झुटके नाम होय है ॥ ४९ ॥ झुटके नाम ॥ दोहा ॥ अजथारथ मिथ्या मृपा, वृथा असत्य अलीक। मुघा मोघ निःफल वितथ, अनुचित असत अठीक अर्थ - अयथार्थ, मिथ्या, मृपा, वृथा, असत्य, अलीक, मुधा, मोघ, निःफल, वितथ, अनुचित, असत्य, अठीक, ॥ ५० ॥ ॥ इति श्रीसमयसारनाटकमध्ये नाममाला सूचनिका संपूर्णा ॥ सार. नाटक. ॥९॥
SR No.010586
Book TitleSamaysar Natak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Pandit, Nana Ramchandra
PublisherBanarsidas Pandit
Publication Year
Total Pages548
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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