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समय
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चिदानंद चेतन अलख जीव समैसार, बुद्धरूप अबुद्ध अशुद्ध उपयोगी है ॥ चिप स्वयंभू चिनमूरति धरमवंत, प्राणवंत प्राणी जंतु भूत भव भोगी है | गुणधारी कलाधारी भेषधारी विद्याधारी, अंगधारी सँगधारी योगधारी जोगी है | चिन्मय अखंड हंस अक्षर आतमराम, करमको करतार परम वियोगी है ॥ ३७ ॥ अर्थ -- चिदानंत, चेतन, अलक्ष, जीव, समयसार, बुद्धरूप, अबुद्ध, अशुद्ध, उपयोगी, चिद्रूप, स्वयंभू, चिन्मूर्ति, धर्मवंत, प्राणवंत, प्राणी, जंतु, भूत, भवभोगी, गुणधारी, कलाधारी, भेषधारी, विद्याधारी, अंगधारी, संगधारी, योगधारी, योगी, चिन्मय, अखंड, हंस, अक्षर, आत्माराम, कर्मकर्ता, परमवियोगी, ॥ ३७ ॥ अव आकाशके नाम कहे है || दोहा ॥ - खं विहाय अंबर गगन, अंतरिक्ष जगधाम । व्योम वियत नभ मेघपथ, ये आकाशके नाम ||३८||
अर्थ - खं, विहाय, अंवर, गगन, अंतरिक्ष, जगधाम, व्योम, वियत, नभ, मेघपथ, ये आकाशके नाम है ॥ ३८ ॥ अव कालके नाम कहे है || दोहा ॥ -
यम कृतांत अंतक त्रिदश, आवर्ती मृतथान । प्राणहरण आदिततनय, कालनाम परवान ॥३९॥ अर्थ- - यम, कृतांत, अंतक, त्रिदश, आवर्ती, मृत्युस्थान, प्राणहरण, आदित्यतनय, ये | कालके नाम प्रमाण है ॥ ३९ ॥ अव पुन्यके नाम कहे है || दोहा ॥ - पुन्य सुकृत ऊर्ध्ववदन, अकररोग शुभकर्म । सुखदायक संसारफल, भाग वहिर्मुख धर्म ॥ ४० ॥ अर्थ – पुण्य, सुकृत, ऊर्ध्ववदन, अकररोग, शुभकर्म, सुखदायक, संसारफल, भाग्य, बहिर्मुख, धर्म ॥ ४० ॥ अव पापके नाम कहे है || दोहा ॥ -
सार
नाटक.
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