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________________ पढने का ढंग "Poetry is the centre in which all arts unite" रुचिर रसात्मक काव्य केन्द्र अस अनुपम अभिनव । आइ आप सो आप मिलहिं जहँ ललित कला सव ।। “Poetry is the fruit of genius” प्रतिभा प्रभा प्रकासत ता को काव्य सुभग फल । Poetry is the light of fife, the very image of life expressed in its eternal truth." कविता जीवन-ज्योति सत्य की साँची मूरति । एक बार आप 'रत्नाकर' जी की "समालोचनादर्श' नामक पुस्तक पढ रहे थे । झट आपने उसी के पृष्ठ पर यह पद्य-रचना कर डाली-- काउ देश की उन्नति अवनति कहति जहाँ है । कविता को सम्बंध अवसि ही होत तहा है ॥ कवि गन निज कर्तब्य प्रकासे भाव यथारथ । जासो सब बिधि सधे देश स्वारथ-परमारथ ॥ कठिन परीक्षा समय उपस्थित सामी तासो । कविता सविता को विकाश अब चहियतु जासो।। अविचल ईश्वर भक्ति भ्रातृ अनुराग पसारो। अरु भविष्य मे होइ अटल विश्वास हमारो॥ स्वतंत्रता समता सहयोगिता पियारी सकल हृदय में करें आइ निज निज उजियारी । काव्य कला मर्मज्ञ परम हिन्दी हित आकर ।। "समालोचनादर्श' मॉहि भासत रतनाकर ।
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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