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________________ ४८ प० सत्यनारायण कविरत्न पूछा-"तुम हमेशा लेट करके क्यो आते हो ?" आप ने उत्तर दिया"ये सभी लड़के लेट करके (सोकर) आते है, मैं क्या न्यार। ही लेट करके आता हूँ?" प्रोफेसर साहब ने और भी अधिक नाराज होकर पूछा कि ये लेट करके कैसे आते है। तब आपने कहा कि मुझे तीन-चार मील से आना सो जव शहर के आनेवाले ही लडके देर करके आते है तब मेरा क्या विशेष अपराध है। प्रोफेसर साहब चुप रह गये । पढ़ने का ढङ्ग जब कभी आप कोई अच्छी किताब पढते तो बस उसी के कोने पर कविता करके उसके अच्छे-अच्छे भावो को प्रकट कर देते थे। एक बार आप (Pleasures of life) नामक पुस्तक पढ रहे थे। उसमे टेनीसन का यह पद्य आया And here the singer for his art, Not all in vain may plead, The song that nerves a nation's heart, Is in itself a deed. आपने पुस्तक के कोने पर लिख दिया: "लहरि उठे जातीय हृदय जा गीतहिं को सुनि । सो अति अनुपम कार्य सरस है तासु प्रतिध्वनि ॥ • इसके बाद एक वाक्य था-"Poctry is a speaking picture and painting is mute Poetry" आपने लिखा: "काव्य मनोरम चित्र विसद बतरात सुहावत । चित्र अनूपम काव्य न बोलत तउ मनभावत।" सत्यनारायणजी को उक्त पुस्तक के वाक्य ऐसे पसंद आये कि एक के बाद दूसरे का अनुवाद. उसी पुस्तक के कोने पर करते चले गये देखिए
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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